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  Uttar Pradesh: UP Police पर हैवानियत सवार
  Tags: महिलाएं आसान शिकार, अपनों को भी नहीं बख्सते, बचाव में लगे रहते हैं अफसर
News source: Shashi Singh शशि सिंह
blised on : 24 July  2012, Time:  20:49
 

लखनऊ, 24 जुलाई। राज किसी का भी हो, उत्तर प्रदेश पुलिस का हैवानियतभरा चेहरा किसी को भी नहीं बख्शता है। चाहे वे पुलिसकर्मी ही क्यों न हों। महिलाएं तो इनका आसान शिकार (साफ्ट टार्गेट) होती हैं। मायावती शासन में खीरी जिले के एक थाने में लड़की से बलात्कार के बाद हत्या का मामला इतना तूल पकड़ा कि उसकी जांच सीबीआई को देनी पड़ी। तब सपा ने खूब हायतौबा किया था। करना भी चाहिए। लेकिन अगर अब सपा की अखिलेश सरकार में भी थानों में महिलाओं की अस्मत पर डाका डाला जा रहा है तो आम आदमी किसके पास जाए। मायावती शासन की तरह ही अब भी मानावाधकिरा आयोग और उच्च न्यायालय तक को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है लेकिन हालात में कोई बदलाव नहीं आ रहा है।

वारदातें बढ़ती ही जा रही हैं। शुरुआत राजधानी लखनऊ से। माल थाने के दारोगा कामता प्रसाद अवस्थी ने एक पीड़ित महिला को पहले तो इशारों-इशारों में परेशान किया। एक दिन रात को समस्या के समाधान के लिए थाने में बुलाया। शराब पीकर उसे अपने कमरे में बहाने से ले गया और अश्लील हरकतें करने लगा। इरादा ताड़ महिला ने भागने की कोशिश की तो हैवानिय पर उतर आया। वह बहादुर महिला उससे भिड़ गई, दातों से कई स्थानों पर काट लिया। उसके कपड़े फाड़ डाले। संयोग से पूरे वाकये की फोटो खिंच गई। वह जैसे ही समाचार पत्रों में छपी तो शासन-प्रशासन में हलचल मची। उसे पहले तो मंदबुद्धि बताकर अफसर बचाते रहे, जब चौतरफा दबाव बढ़ा तो लाइन हाजिर कर दिया गया। बाद में हाईकोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया। सरकार को फटकारा। उसे निलंबित कर बर्खास्त करने की तैयारी चल रही है। राजधानी ही क्यों, पूरे प्रदेश में पुलिस वालों की अराजकता कायम है। बस्ती, कुशीनगर, बदायूं, प्रतापगढ़, महोबा, फर्ऱुखाबाद, जालौन आदि में वारदातें सामने आ चुकी हैं।

ऐसे बहुतेरे मामले हैं जहां पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी, लिखी तो उच्च स्तरीय दबाव के बाद। बदायूं की लालपुर पुलिस चौकी में दो माह पूर्व एक जायरीन लड़की से दुराचार की घटना हुई। पीड़िता का मुकदमा तक नहीं लिखा गया। मीडिया के माध्यम से शासन तक बात पहुंची तो छह पुलिस वालों पर मुकदमा दर्ज किया गया। जांच के बाद उन्हें निलंबित किया गया। लेकिन उस लड़की की अस्मत तो लुट ही चुकी थी। टुंडला के रसूलपुर में तैनात सिपाही ने एक लड़की से साथ दुराचार तो किया ही, उसे एक होमगार्ड के हवाले कर दिया। उसने भी उसकी इज्जत लूटी। बाद में हो हल्ला मचा तो दोनों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया। आठ मई 2011 की बात है। बस्ती नगर थाने में तैनात एसआई मनोज सिंह ने आत्महत्या कर ली। पत्नी ने दरोगा पर आत्महत्या के लिए विवश करने की शिकायत की तो सुनी नहीं गई। जून में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक किसी माध्यम से फरियाद पहुंची तो दरोगा समेच छह पुलिस वालों पर मुकदमा दर्ज हो सका। अप्रैल 2012 में मेले में पहुंचे एक फौजी की पत्नी के साथ सिपाहियों ने छेड़छाड़ की, विरोध करने पर उसकी पाटाई की, फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया। मामला डीआईजी के पास पहुंचा तो पुलिस वालों पर कार्रवाई की गई।

प्रेमी संग एक युवती सीतापुर के एक थाने में फरियाद लेकर गई तो उसको न्याय देने की बजाय दरोगा ने दुराचार किया। उच्च पुलिस अधिकारी उसे दोषी मानने के लिए तैयार ही नहीं थे। बाद में सामाजिक और राजनीतिक दबाव में उसे लाइन हाजिर किया गया। इस मामले को मानवाधिकार आयोग ने भी गंभीरता से लिया। आयोग से सदस्य न्यायमूर्ति विष्णु सहाय ने पूरी घटना की रिपोर्ट मांगी है। इसी जिले में एक व्यक्ति की हत्या कर लाश खेत में फेकीं गई। दरोगा पहुंचे तो पैर से उस लाश को उलटा-पलटा। सैकड़ों लोग उसके गवाह रहे। इससे पहले भी अमरोहा के एक थाना क्षेत्र में हत्या कर फेंकी गई लाश को एसपी की मौजूदगी में दरोगा ने पैर से उलटा-पलटा फिर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। ये दोनों घटनाए मीडिया में भी आईं, जांच हुई लेकिन इन्हें क्लीन चिट दे दी गई।

अजीब वाकया

फर्रुखाबाद में तो अजीब वाकया हुआ। यहां के मौहम्मदाबाद थाने में तैनात सिपाही ने तो एक युवती का योन शोषण किया। बाद में उसे भगा दिया। उसने उच्च स्तर पर शिकायत की तो मुकदमा दर्ज किया गया। वह जेल भेज दिया गया। उसने लड़की से शादी का वादा किया तो उसने मुकदमा वापस कर लिय़ा। वह फिर शादी से मुकरा तो दबाव पड़ा। अततः उसे उस लडकी से शादी करनी पड़ी।

क्या कहते हैं डीजीपी

जैसा हर अफसर करता है, वही रवैया प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एसी शर्मा का है। नसीहत वाले अंदाज में वह कहते हैं, पुलिस वालों को अपना आचरण व व्यवहार दुरुस्त रखना चाहिए। उच्च पदों पर बैठे लोगों से अच्छे आचारण की अपेक्षा की जाती है। प्रशिक्षण से लेक अन्य अवसरों पर पुलिस वालों को ऐसी नसीहत दी भी जाती है। उन्हें ऐसा करने के निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। मुख्य पदों पर दागी लोगो तैनात नहीं किए जाएंगी।

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News source: U.P.Samachar Sewa

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