देहरादून।
उत्तराखंड राज्य में कांग्रेस और भाजपा की बीच शह और
मात का खेल अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। आज
हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से बागी - दागी
कांग्रेस विधायकों और भाजपा की अंतिम आस भी तब दम तोड़
गई - जब दोनों जगह कोर्ट ने स्पीकर के फैसले को सही
ठहराया और बागी कांग्रेस विधायकों को शक्ति परीक्षण
में वोट देने का अधिकार नही दिया है। अब कल ग्यारह बजे
विधानसभा में हरीश रावत सरकार के लिए बहुमत साबित करना
आसान है - जबकि सदन की संख्या 70 से घटकर 61 रह गई है
और पीडीएफ के 6 सदस्य पहले की तरह हरीश रावत सरकार के
समर्थन में एकजुट बने हुए हैं।
बहुमत के बाद उत्तराखंड में फिर हरीश रावत सरकार की
होगी ताज़पोशी !
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कल दिन में ग्यारह बजे दो
घंटे के लिए राष्ट्रपति शासन हटाकर विधानसभा सत्र आहुत
किया जायेगा और विधानसभा में हरीश रावत सरकार अपना
बहुमत साबित करेगी । विश्वास मत को निर्बाध आयोजित करने
के लिए आज सायं 5 बजे से कल दोपहर 3 बजे तक विधान सभा
और देहरादून शहर में धारा 144 लगा दी गई है और सुरक्षा
सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिये गये हैं। विधानसभा में
मोबाइल फोन ले जाने की इजाजत भी नही होगी। सुप्रीम
कोर्ट ने विश्वास मत के इस विशेष सत्र की वीडियोग्राफी
करने के निर्देश भी प्रशासन को दिये हैं।
अब सदन की कुल 61 संख्या में कांग्रेस और पीडीएफ
गठबंधन के 33 विधायक हैं। दूसरी और भाजपा ने अपने
विधायक भीमलाल आर्य को पहले निलंबित किया हुआ था और
फिर उसकी विधायकी निरस्त करने का आवेदन स्पीकर से किया
था। जिसे स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने अस्वीकार कर
दिया है। अब भाजपा खेमें में 27 विधायक और एक बागी
भीमलाल आर्य है। फिर भी दिल्ली में भाजपा पदाधिकारी
उत्तराखंड में कांग्रेस में एक और बगावत होने का सपना
देख रहे हैं। 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगने से
लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस बागियों के खिलाफ
फैसला आने तक तो हरीश रावत अपने समर्थक विधायकों को
एकजुट रखने में कामयाब रहे हैं। भाजपा उपाध्यक्ष श्याम
जाजू, महामंत्री विजय वर्गीय और उनकी टीम कंेद्र में
सत्ता के दम पर इस बीच उत्तराखंड में अपने हर दाव पेंच
आजमा चुके हैं।
धारा 356 के दुरपयोग की दोषी हो जाएगी मोदी सरकार
कल हरीश रावत सरकार विश्वास मत हासिल करने में सफल हो
जाती है तो दिल्ली और बिहार के बाद भाजपा को फिर से
मुंह की खानी पड़ेगी। उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या
और धारा 356 का दुरपयोग मोदी सरकार के लिए काला इतिहास
बन जायेगा। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश
में अगले साल होने वाले चुनाव में यह मुद्दे भाजपा
कार्यकर्ताओं के लिए निराशाजनक माहौल निर्मित करेंगे।
उत्तराखंड कांग्रेस की प्रमुख नेता इंदिरा हृदयेश
वित्त और संसदीय कार्यमंत्री विगत 20 मार्च से ही हरीश
रावत सरकार के बहुमत का यह गणित मीडिया के आगे रखती रही
हैं। कांग्रेस दल में फूट और बागियों के प्रति ज्यादा
हमदर्दी दिखाने से भाजपा हाईकमान लोकतंत्र की मर्यादाओं
को तार - तार करने और पिछले दरवाजे़ से सत्ता हथियाने
की दोषी आरोपित हुई है।
अब ससदीय
कार्यवाही में न्यायालय के हस्तक्षेप पर चिंता
आज लोकसभा ने
राष्ट्रपति शासन झेल रहे उत्तराखंड के लिए अनुपूरक बजट
को धारा 356 पर चिंता जाहिर करते हुए पास किया। अरुण
जेटली ने बहस में स्वीकार किया कि संसदीय कामकाज में
उच्च न्यायालयों से हस्तक्षेप मांगना सभी पार्टियों के
लिए गहरी चिंता का विषय है। वहीं सांसद कलिकेश नारायण
देव ने भाजपा को धारा 356 के दुरपयोग के लिए आड़े हाथों
लिया। कलिकेश का मानना था - जब संसद के दोनों सदनों ने
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का अनुमोदन नही किया है
और कल ही वहां विधानसभा में हरीश रावत सरकार का
विश्वास मत होना है तो कंेद्र सरकार किसी जल्दी में
अनुपूरक बजट पेश करके संविधान का उल्लंघन तो नही कर रही
है। संसदीय कार्यवाहियों को कोर्ट की ज़द में लाकर और
हस्तक्षेप मांगकर भाजपा और कांग्रेस संसद को
न्यायपालिका के आगे कमजोर बनाने पर तुली हुई हैं।
स्पीकर के आचरण की चर्चा के लिए स्पीकरों का एक सदन
होना चाहिए नाकि संसद की बहस को कोर्ट - कचहरी में
खींचकर जनप्रतिनिधियों को अपना मजाक बनाना चाहिए।