कोरोना
संकट के पहले इस्लामी जगत के बाहर बहुत
काम लोग जानते होंगे कि तबलीगी जमात भी
कोई समुदाय या संस्था है। लेकिन, कोरोना
काल ने तबलीगी जमात के बारे में पूरे देश
को बता दिया। क्योंकि, देश में कोरोना
महामारी के बढ़ने की गति को दोगुना करने
के लिए जमात को जिम्मेदार माना जा रहा है।
छह अप्रैल (सोमवार) को नई दिल्ली में भारत
सरकार के स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने जब
नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कोरोना के आंकड़े
जारी किये तो सामने आया कि देश के कुल
4067 संक्रमितों में से 1455 तबलीगी जमात
से जुड़े लोग हैं। यानि कि लगभग 42
प्रतिशत लोग सिर्फ जमात के हैं। यही स्थिति
उत्तर प्रदेश की है, यहां अपर मुख्य सचिव
गृह और सूचना अवनीश अवस्थी ने नियमित
प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि प्रदेश में
कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 305 हो
गई है, इसमें 159 तबलीग से जुड़े हैं। यानि,
कि लगभग 50 प्रतिशत जमाती हैं। उन्होंने
यह भी बताया कि चौबीस घंटे में 27 मरीज बढ़े
इसमें 21 तबलीगी जमात से जुड़े हैं। इन
आकंड़ो के आने के बाद और जगह जगह मस्जिदों
में मिल रहे तबलीगी जमात के लोगों और उनमें
संक्रमण पाये जाने की खबरे जैसे जैसे आ रही
हैं, वैसे वैसे लोगों की धारणा बन गई है
कि तबलीग ने देश को कोरोना के संक्रमण में
दूसरे चरण से तीसरे चरण की ओर धकेल दिया
है। यही वजह है कि सोमवार की ब्रीफिंग में
उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने साफ कहा कि
संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए
यह जरूरी नहीं है कि लाकडाउन को 14 अप्रैल
को खोल दिया जाएगा। इसी तरह दिल्ली से भी
संकेत मिल रहे हैं कि स्थिति को देखते हुए
लाकडाउन आगे बढाया जा सकता है। अब हालत यह
है कि देश में लोग तबलीगी जमात को कोरोना
फैलाने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानने
लगे हैं। जब से, तबलीगी जमात का दिल्ली के
निजामुद्दीन स्थित मरकज में हुआ सम्मेलन
और उसके बाद वहां मौजूद लोगों के कोरोना
पाजिटिव पाये जाने की बड़ी संख्या सामने
आयी है तब से, देशभर में यह जमात मीडिया
में चर्चा में है। तबलीगी जमात के
कर्ताधर्ता मौलाना शाद कांधलवी और उनके
सहयोगियों की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना
हरकत ने न केवल जमात के अनुयाइयों को,
बल्कि देश की आम जनता को संक्रमण के साये
में लाकर खड़ा कर दिया है। हालात इतने
खराब हो गए हैं कि देशभर में सभी राज्य
सरकारों को तबलीग से जुड़े लोगों की तलाश
में छापेमारी करनी पड़ रही है। क्योंकि ये
दिल्ली से निकलकर देशभर के मुस्लिम इलाकों
में फैल गए और मस्जिदों में छिप गए। जहां
इनके संक्रमित होने की वजह से स्थानीय
नागरिकों में भी संक्रमण की आशंका बढ़ गई।
हालत ये है कि देश में तबलीग से जुड़े
करीब नौ हजार से अधिक जमातियों को
क्वारेंटाइन किया गया है। वहां भी ये अपने
उच्छृखंल व्यवहार और हरकतों से चिकित्सकीय
स्टाफ और प्रशासन को परेशान किये हुए हैं।
इनके द्वारा खाने में बिरयानी की मांग,
बीड़ी सिगरेट की मांग, बार्ड में नंगे
घूमने की घटनाएं, महिला स्वास्थ्यकर्मियों
से छेड़छाड़, फर्श पर गंदगी फैलाना,
जगह-जगह थूकना, आदि कृत्य किये जा रहे
हैं। सरकार लगातार यह अपील कर रही है कि
जो लोग तबलीग से जुड़े हैं और दिल्ली के
निजामुद्दीन मरकज मे हुए 13 से 15 मार्च
के सम्मेलन में शामिल हुए थे वे स्वय सामने
आकर अपनी जांच करा लें। लेकिन, ये लोग
सामने आना तो दूर जांच करने के लिए पहुंचने
वाले कर्मचारियों से अभद्रता कर रहे हैं।
इसके चलते स्वास्थ्य टीमों को पुलिस का
सहारा लेना पड़ रहा है। तबलीग के अनुयायी
कहते हैं कि वे देश और दुनिया में इस्लाम
धर्म की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करते
हैं। लेकिन, आज स्थिति यह हो गई है कि ये
संक्रमण फैलाने के माध्यम बन गए हैं और
इनसे सबस ज्यादा खतरा मुसलमानों को ही है।
क्योंकि ये मस्जिदों में जाकर छिपे हैं,
वहां मुसलमानों तथा आसपास की आबादी से इनका
संपर्क होता है। लेकिन, आश्चर्य की बात यह
भी है कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग अभी
भी इनके बचाव में तर्क दे रहा है। बजाय,
इसके कि वे इन्हें स्वास्थ्य केन्द्रों
में भेजकर क्वारनंटाइन कराएं और अपने इलाके
को सुरक्षित करें। (उप्रससे) |