|
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा
विश्वविद्यालय के लारी कार्डियोलॉजी में
गुरुवार को जूनियर चिकित्सक ने एक मरीज के
तीमारदार को थप्पड़ जड़ दिया। इसके बाद घटना
का विरोध कर रहे तीमारदारों ने हंगामा
मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद केजीएमूय के
अन्य वार्डों में तैनात जूनियर डॉक्टर
कामकाज बंद कर लामबंद हो गये और मरीज और
तीमारदार को वार्ड से बाहर निकालने पर
आमादा हो गये।इसके
बाद लगभग तीन घंटे तक चले हंगामे की वजह
से मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सका।
मामले को तूल पकड़ते देख सीनियर डाक्टर और
पुलिस के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और
दोनों पक्षो को समझाते हुए मामले को
रफा-दफा किया। “ाहर के बालागंज निवासी
असमत अली (55)वर्षीय के दिल में छेद था।
परिजन उन्हें मंगलवार को लारी कार्डियोलॉजी
के आईसीयू 12 नंबर बेड पर भर्ती कराया गया
था।वार्ड में गुरुवार को असमत अली के हाथ
से जूनियर डॉक्टर इंजेक्शन से खून निकालकर
कूड़ेदान में फेंक रहा था। डॉक्टर को यह
करता देख असमत अली के पास बैठे उसके बेटे
से रहा नहीं गया। बेटे ने डॉक्टर से पूछा
कि वह उसके पिता का खून क्यों फेंक रहे
हैं? मरीज के पुत्र द्वारा पूछा गया यह
प्रश्न जूनियर डॉक्टर को नागवार गुजरा और
कड़े लहजे में पुत्र को फटकार लगाते हुए कहा
कि यदि इलाज कराना है तो यहां जो हो रहा
है होने दो नहीं तो मरीज को डिस्चार्ज
कराकर घर ले जाओ। डॉक्टर और मरीज के पुत्र
के बीच बहस शुरू हो गई। दोनों के बीच
तकरार इतनी बढ़ गई कि जूनियर डॉक्टर ने
मरीज के बेड के पास ही उसके पुत्र को एक
थप्पड़ जड़ दिया और तीमारदार को घसीट कर
बाहर करने लगे। यह घटना देखकर मरीज के कुछ
और तीमारदार एक जुट हो गए और उन्होंने
जूनियर डॉक्टर की कालर पकड़ ली। लोगों ने
बीच बचाव कर दोनों को छुड़ाते हुए इधर-उधर
कर दिया।असमत अली के दिल में छेद है।
मंगलवार को सीने में दर्द होने के बाद
परिजनों ने उन्हें लारी कार्डियोलॉजी के
आईसीयू में भर्ती कराया था।
तीमारदारों ने जूनियर डॉक्टरों पर आरोप
लगाया कि डॉक्टर मरीजों के साथ जानवरों
जैसा बर्ताव करते रहते हैं। यदि उसका कोई
विरोध करता है तो वह उससे लडने को तैयार
हो जाते हैं। जूनियर डॉक्टर मरीज के शरीर
से दो दिन से इसी प्रकार खून निकालकर फेंक
रहे थे। वहीं दूसरी ओर जूनियर डॉक्टरों ने
कहा कि मरीज विगो से खून निकालने से पहले
उसे पहले फेंका जाता है, क्योंकि खून में
ग्लूकोज और कई इंजेक्शन जो मरीज को दिए
जाते हैं उसकी मात्रा उसमें रहती है।केजीएमयू
के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
डा.एस.एन.“ांखवार ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों
और तीमारदारों के बीच हाथापाई की जानकारी
नहीं है। लेकिन यदि ऐसा हुआ है तो इस मामले
की जांच कराई जाएगी, यदि इसमें जूनियर
डॉक्टरों की गलती पाई गई तो उन पर
कार्रवाई की जाएगी।
केजीएमयू में गैस की
किल्लत से टालने पड़े बड़े आपरेशन
लखनऊ। केजीएमयू में बेहोशी के काम आने वाली
गैस नाइट्रस आक्साइड की आपूर्ति करने वाली
एजेंसी ने पांच गैस सिलेंडर की सप्लाई की।
जिससे छोटे अॉपरेशन ही हो सके और अधिकतर
बड़े अॉपरेशन टाल दिए गए। अॉपरेशन टाले जाने
से मरीजों और तीमारदारों को परेशानी का
सामना करना पड़ा।
एनेस्थिसिया में प्रयोग होने वाली इस गैस
की किल्लत केजीएमयू में विगत एक सप्ताह से
चल रही है। जिसके कारण ट्रॉमा सेंटर,
अॉकोलॉजी, सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, गैस्ट्रो
सर्जरी और पीडियाट्रिक सर्जरी के अधिकतर
बड़े अॉपरेशन टाल दिए गए हैं। केजीएमयू को
नाइट्रस अॉक्साइड गैस की आपूर्ति मुरारी
गैस सर्विसेज करती है। केजीएमयू को
प्रतिदिन दस से 12 गैस सिलेंडरों की
आवश्यकता होती है, लेकिन कंपनी केजीएमयू
को पांच से छह गैस सिलेंडर सप्लाई कर रही
है। जिससे केजीएमयू के सामने यह संकट खड़ा
हो गया है। केजीएमयू के सर्जरी से संबंधित
सभी विभागों में प्रतिदिन सौ से 120
अॉपरेशन किए जाते हैं।मुरारी गैस सर्विसेज
ने इतनी अधिक सं या में गैस सिलेंडर दे
पाने में अपनी असमर्थता जाहिर की है।
लेकिन इसके बाद भी केजीएमयू प्रशासन इस
कंपनी को सिलेंडर सप्लाई करने के लिए
बाध्य किए हुए है। केजीएमयू प्रशासन ने
मांग के अनुरूप गैस सप्लाई किए जाने के
लिए कंपनी को पत्र लिखा है। उधर अॉपरेशन
टाले जाने के कारण मरीज और उनके तीमारदार
परेशान रहे।
एक गैस सिलेंडर में होते हैं छोटे तीन और
बड़े दो अॉपरेशन
नाइट्रस अॉक्साइड के एक सिलेंडर से तीन
छोटे और दो बड़े अॉपरेशन होते हैं। इस गैस
से अॉपरेशन करते समय मरीज का शरीर अकड़ता
नहीं है। जिससे अॉपरेशन करने में डॉक्टरों
को सावधानी होती है।
इस बारे में केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक
डा.एसएन शंखवार ने बताया कि गैस सिलेंडरों
की आपूर्ति को बहाल किए जाने का प्रयास
किया जा रहा है। प्रतिदिन सात से आठ
सिलेंडरों की आवश्यकता है। लेकिन कंपनी अब
पूरा करने का प्रयास कर रही है।
|