|
लखनऊ,
09 अप्रैल। उत्तर प्रदेश में प्रथम चरण के
मतदान में पश्चिमी क्षेत्र से दर्जनों
दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। दस
सीटों के लिए चुनाव मैदान में उतरे 146
उम्मीदवारों में 45 प्रतिशत प्रत्याशी
करोड़पति हैं जबकि 23 फीसदी के खिलाफ
आपराधिक मामले हंै। इस चरण में भाजपा के
सामने सबसे बडी चुनौती जनरल वीके सिंह की
प्रतिष्ठा को बचाना है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश इन दस सीटों में 2009
के चुनाव में पांच सीटें बसपा के खाते में
थीं तो दो-दो पर भाजपा और रालोद का कब्जा
था। सपा ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी जबकि
कांग्रेस का यहां खाता ही नहीं खुला था।
इस बार मुजफ्फरनगर दंगा और मोदी इफेक्ट का
असर यहां साफ नजर आ रहा है। वर्ष 2012 के
विधानसभा चुनाव में सपा को भले ही पूर्ण
बहुमत मिल गया हो लेकिन पश्चिमी उप्र में
बसपा ने ही बढ़त कायम रखी थी। तब इन दस
लोकसभा सीटों में पड़ने वाले 50 विधानसभा
क्षेत्रों में बसपा के 18, सपा के 12,
भाजपा के दस और रालोद-कांग्रेस के
पांच-पांच विधायक चुने गए।
विधानसभा चुनाव के दो साल बाद यहां का
माहौल काफी बदल गया है। इस समय सभी सीटों
पर भाजपा मजबूती से चुनाव लड़ती दिख रही है
तो कहीं सपा, बसपा तो कहीं कांग्रेस-रालोद
उसे टक्कर दे रहे हैं।इस इलाके में
मुस्लिम वोट अच्छी तादाद में हैं। अपने
चुनावी समीकरणों को दुरुस्त करने के लिए
गैर भाजपा दलों की नजरें मुस्लिम वोटों पर
टिकी हुई हैं। इस चुनाव में केंद्रीय
मंत्री अजित सिंह के साथ पूर्व मुख्यमंत्री
कल्याण सिंह, राजबब्बर, भाजपा के हुकुम
सिंह, सपा के शाहिद मंजूर, अभिनेत्री
जयाप्रदा व नगमा, सहारनपुर के मसूद परिवार
तथा पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह की
प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
मुजफ्फरनगर
इस सीट पर दंगे का सर्वाधिक प्रभाव दिख रहा
है। यहां भाजपा ने संजीव बालियान और बसपा
ने मौजूदा सांसद कादिर राणा को मैदान में
उतारा। दोनों ही दंगों के आरोपी हैं। सपा
ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह गुर्जर और
कांग्रेस ने मुजफ्फरनगर नगर पालिका परिषद
के चेयरमैन पंकज अग्रवाल पर दांव लगाया
है।
सहारनपुर
दंगों के बाद बदली सियासत में भी बसपा ने
यहां से वर्तमान सांसद जगदीश राणा को फिर
से मैदान में उतारा है। विधायक राघव
लखनपाल भाजपा के प्रत्याशी हैं तो पूर्व
विधायक इमरान मसूद कांग्रेस के टिकट पर और
शाजान मसूद सपा से चुनाव मैदान में हैं।
दोनों चचेरे भाई हैं। इमरान मसूद ने पिछले
दिनों मोदी पर तल्ख टिप्पणी करने के मामले
में जेल का चक्कर लगाया था। मसूद के इस
बयान से यहां वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता
है।
कैराना
यहां से भाजपा विधानमंडल दल के नेता हुकुम
सिंह चुनाव मैदान में हैं। वह मोदी लहर और
दंगों के बाद उपजे माहौल में जीत की
संभावना तलाश रहे हैं। उन्हें सपा के
नाहिद हसन, बसपा के कंवर हसन और रालोद के
करतार सिंह भड़ाना कड़ी अक्कर देते नजर आ रहे
हैं।
बिजनौर
यहां से भाजपा ने बिजनौर के विधायक और
मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी भारतेंद्र सिंह
को मैदान में उतारा है। रालोद ने रामपुर
से लगातार दो बार सांसद रहीं जयाप्रदा को
टिकट दिया है। बसपा से पूर्व विधायक मलूक
नागर और सपा से पूर्व विधायक शाहनवाज राणा
मैदान में हैं।
इस संसदीय सीट में दो विधानसभा सीटें
मुजफ्फरनगर की, दो बिजनौर और एक मेरठ जिले
की है। तिहरे हत्याकांड के बाद मुजफ्फरनगर
दंगे का सबब बना कवाल गांव और पंचायतों का
केंद्र रहा नंगला मंदौड़ बिजनौर सीट में ही
आते हैं।
बगपत
चैधरी चरण सिंह की कर्मभूमि के रूप में
प्रसिद्ध बागपत संसदीय सीट पर रालद मुखिया
चैधरी अजित सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है।
भाजपा ने यहां से डॉ. सत्यपाल सिंह को
उतारा है जबकि सपा से गुलाम मोहम्मद और
बसपा से प्रशांत चैधरी रालद मुखिया को
चुनौती दे रहे हैं। चैधरी अजित सिंह
जाट-मुस्लिम समीकरण के भरोसे चुनाव जीतते
रहे हैं लेकिन इस बार मुजफ्फरनगर दंगे के
कारण उन्हें बदले समीकरण को झेलना पड़ रहा
है।
गाजियाबाद
भाजपा प्रत्याशी पूर्व सेनाध्यक्ष वीके
सिंह और अभिनेता से नेता बने राज बब्बर के
कांग्रेस से चुनाव मैदान में आने से यह
सीट दोनों बड़ी ही प्रतिष्ठापूर्ण हो गई
है। यहां से बसपा ने मुकुल उपाध्याय, सपा
ने सुधन रावत और आम आदमी पार्टी ने शाजिया
इल्मी को मैदान में उतारा है। लड़ाई
चतुष्कोणीय बनी हुई है।
बुलंदशहर
चूंकि भाजपा ने यहां से भोला सिंह को
उम्मीदवार बनाया है और वह प्रदेश के पूर्व
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पसंद हैं।
इसलिये इस सीट को कल्याण सिंह की प्रतिष्ठा
से जोड़ा जा रहा है। भाजपा का मुकाबला यहां
सपा के मौजूदा सांसद कमलेश वाल्मीकि, बसपा
के प्रदीप जाटव और रालोद की अंजु मुस्कान
से है। मुस्लिम वोटों के बंटवारे के चलते
इस सुरक्षित पर फिलहाल भाजपा का पलड़ा भारी
आंका जा रहा है।
अलीगढ़
यहां से सांसद राजकुमारी चैहान के बेटे
अरविंद कुमार सिंह बसपा प्रत्याशी हैं। सपा
से विधायक जफर आलम, कांग्रेस से पूर्व
सांसद बिजेन्द्र सिंह मैदान में है। भाजपा
ने कल्याण सिंह के नजदीकी सतीश गौतम को
उम्मीदवार बनाया है। इसलिए इस सीट पर भी
कल्याण सिंह की प्रतिष्ठा जुड़ गई है। यहां
सपा, बसपा और कांग्रेस की उम्मीदें
मुस्लिम वोटों पर टिकी हैं। सभी अपना
मुकाबला भाजपा से मान रहे हैं। मुस्लिम
जिसके पक्ष में लामबंद होंगे वहीं भाजपा
से मुकाबला करेगा।
मेरठ
मौजूदा सांसद भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल
को सपा प्रत्याशी एवं मंत्री शाहिद मंजूर,
बसपा प्रत्याशी पूर्व सांसद और पूर्व मेयर
शाहिद अखलाक और कंाग्रेस उम्मीदवार नगमा
की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। माना
जा रहा है कि मुस्लिम वोटों का बहुमत जिसे
मिलेगा वही भाजपा के साथ मुकाबले में रहेगा।
यद्यपि फिल्म अभिनेत्री नगमा को सुनने,
देखने के लिए यहां भीड़ तो उमडी लेकिन
कांग्रेस के जर्जर ढांचे और गुटबंदी के
कारण उन्हें वोट कितना मिलेगा यह तो बाद
में पता चलेगा।
गौतमबुद्धनगर
यहां से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व
सांसद रमेश चंद्र तोमर पर्चा दाखिल करने
के बाद भाजपा में शामिल हो गये। इसी तरह
बसपा के मौजूदा सांसद सुरेंद्र नागर सपा
में जा चुके हैं। इस नये समीकरण के बीच इस
सीट पर भाजपा के महेश चंद्र शर्मा का
मुकाबला सपा के नरेंद्र सिंह भाटी और बसपा
से सतीश अवाना से है। तोमर के भाजपा में
आने से महेश चंद्र शर्मा को मजबूती मिली
है।
|