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लखनऊ,
17 फरवरी।
(Lucknow, February 17, 2012. U.P.Web
News )..कांग्रेस में आजकल प्रमुख
मुद्दों पर प्रेस वार्ता करके अपना पक्ष
रखने के लिए दिल्ली से केन्द्रीय नेताओं
को आमंत्रित किया जा रहा है। ये नेता
दिल्ली से जहाज से सिर्फ पत्रकारों के बीच
कांग्रेस का पक्ष प्रस्तुत करने आते हैं।
ऐसी ही एक प्रेस वार्ता में आज कांग्रेस
के वरिष्ठ नेता और के न्द्रीय मानव संसाधन
विकास मंत्री भ्रष्टाचार के मुद्दे पर
पत्रकारों के बीच फंस गए। वे प्रदेश की
मायावती सरकार में राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन और महात्मा गांधी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम
के तहत हुए भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे
थे। किन्तु पत्रकारों ने जब उनसे टू-जी
स्पेक्ट्रम और कामनवेल्थ गेम के तहत हुए
भ्रष्टाचार पर सवाल पूछ लिए तो वे कन्नी
काट गए। उन्होंने सवाल को टालते हुए कहा
कि अरे आप कहां की बात कर रहे हैं। हर बात
की तुलना नहीं की जा सकती।
कांग्रेस उत्तर प्रदेश के चुनाव में स्वयं
को बहुजन समाज पार्टी के विकल्प के रूप
में प्रस्तुत करने के लिए पुरजोर प्रयास
कर रही है। इसी प्रयास में उसने यूपी में
एनआरएचएम में हुए घोटाले और हत्याओं को भी
मुद्दा बनाया है। कांग्रेस राज्य में साफ
सुधरी सरकार देने का भी वादा कर रही है।
इसीलिए कांग्रेस ने परसों लखीमपुर खीरी
में स्वास्थ्य विभाग के एक लिपिक का शव
मिलने से इस प्रकरण पर अपना पक्ष रखने का
फैसला किया। पार्टी ने योजना बनाई कि इसे
भी माया सरकार के भ्रष्टाचार की कड़ी में
शामिल करके सीबीआई जांच की मांग की जाए।
इसके लिए आज कांग्रेस मुख्यालय में एक
पत्रकार वार्ता का आयोजन शाम चार बजे किया
गया। इस पत्रकार वार्ता के लिए कांग्रेस
के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल को दिल्ली से
बुलाया गया। श्री सिब्बल सिर्फ प्रेस
वार्ता के लिए दिल्ली से सीधे सवा चार बजे
प्रेस वार्ता मे हाजिर हुए और कांग्रेस की
रणनीति के अनुसार लखीमपुर प्रकरण की भी
सीबीआई जांच की मांग और भाजपा के एजेण्डे
को साम्प्रदायिक बताकर शाम को ही 5.50 की
फ्लाइट से दिल्ली लौट गए।
एनआरएचएम में घोटाले के मुद्दे पर श्री
सिब्बल ने कहा कि अब तक छह लोगों की हत्या
हो चुकी है। इस मामले में सच को छिपाया जा
रहा है। मुख्यमंत्री इस पर चुप क्यों हैं?
स्वास्थ्य विभाग के छह लोग मारे जा चुके
हैं। इन्हें कौन मार रहा है? कहीं इसमें
किसी पुराने मंत्री का हाथ तो नहीं है?
उन्होंने मांग की कि सभी छह हत्याओं की
सीबीआई से जांच होनी चाहिए। श्री सिब्बल
ने पत्रकारों को बताया कि यूपी सरकार में
कुल 52 मंत्री थे। इनमें से लोकायुक्त ने
31 के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। जिसमें
21 को दोषी माना गया और बर्खास्त कर दिया
गया।
श्री सिब्बल जब माया सरकार पर भ्रष्टाचार
के आरोप जड़ रहे थे। उसी समय पत्रकारों ने
उनसे टू-जी स्पेक्ट्रम के भ्रष्टाचार और
इसके दौरान हुई दो मौतों और कामनवेल्थ गेम
के बारे में सवाल पूछ लिए। इन सवालों के
लिए शायद सिब्बल तैयार नहीं थे। इसलिए वे
कन्नी काटने गए। उन्होंने सिर्फ इतना ही
कहा कि सभी मामलो ंकी तुलना नहीं की जा
सकती। इसी दौरान एक पत्रकार ने सीबीआई के
निदेशक द्वारा विदेशों में जमा काले धन के
बारे में किये गए खुलासे पर सवाल पूछ लिया।
इस सवाल पर भी सिब्बल ने कोई उत्तर नहीं
दिया। इसी दौरान कांग्रेस के मीडिया
मैनेजरों ने प्रेस कांफ्रेस को समाप्त
कराने का प्रयास किया तथा कुछ मुस्लिम
नेताओं के शामिल होने की घोषणा करने लगे
तो पत्रकारों ने हस्तक्षेप करके पुन:
सिब्बल से जबाव देने को कहा। इसके बाद
प्रेस ने उन्हें सलमान खुर्शीद के बाद बेनी
प्रसाद वर्मा द्वारा किये गए आचार संहिता
के उल्लंघन के मामले पर घेर लिया। इस पर
भी सिब्बल जवाब देने से बचे और कह दिया कि
यह मामला समाप्त हो चुका है। उन्होंने
पत्रकार से कहा कि आपने यह सवाल मुझसे दो
दिन पहले भी पूछा था। यह प्रकरण समाप्त हो
चुका है तो बार-बार क्यों पूछा जा रहा है?
इस पर दिल्ली में अंबिका सोनी जबाव दे चुकी
हैं।
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