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कानून व्यवस्था पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से मांगा ब्यौरा
उरई में मीसा बन्दियों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए राज्यपाल राम नाईक
Tags:  U.P.Samachar Sewa, U.P. News, UP Web News, Orai
Publised on : 26 June 2016,  Last updated Time 17:58

उरई। कानून व्यवस्था से जुड़े चार अहम मुददों पर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री से ब्यौरा तलब किया है। मुख्यमंत्री ने अभी तक यह ब्यौरा राजभवन को उपलब्ध नही कराया है। ब्यौरा मिलने के बाद राज्यपाल ने केंद्र को प्रदेश की कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट भेजने का इरादा जाहिर किया है।
जालौन ब्लॉक के सुढ़ार-सालाबाद गांव में मीसा बंदियों के सम्मान समारोह में रविवार को हैलीकॉप्टर से पहुंचे महामहिम ने पत्रकारों से बातचीत में एक बार फिर प्रदेश में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि मथुरा सहित प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पुलिस अफसरों और कर्मियों की हत्या, लखनऊ में सर्राफा व्यापारी की लूट और कैराना व दादरी कांड पर उन्होंने मुख्यमंत्री से ब्यौरा मांगा है।
एक प्रश्न के उत्तर में राज्यपाल ने सोमवार को राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार की सूचना की पुष्टि की लेकिन कहा कि इसमें हाल ही में बर्खास्त कैबिनेट मंत्री बलराम यादव को पुनः शपथ ग्रहण कराने के प्रस्ताव की कोई आधिकारिक जानकारी उन्हें नही है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल से किसी को हटाने और रखने का मामला मुख्यमंत्री का संवैधानिक अधिकार है। जिसमें उनका कोई हस्तक्षेप नही है। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में पहले विलय और इसके बाद इस फैसले को रदद किये जाने के घटनाक्रम पर उन्होंने कहा कि यह सत्तारूढ़ पार्टी की राजनीतिक प्रक्रिया का एक हिस्सा है। जिसका राजभवन से कोई लेना देना नही है।
राज्यपाल ने कहा कि कला, संस्कृति, साहित्य आदि विशिष्ट कैटेगरी के अंतर्गत एमएलसी मनोनीत करने के लिए सरकार की ओर से कुछ विवादित नाम भेज दिये गये थे। अपने संवैधानिक दायित्व के नाते उन्होंने इन पर आपत्ति दर्ज करते हुए सरकार को यह नाम वापस कर दिये थे। उन्होंने कहा कि यह रुटीन की कार्यवाही थी। जिसे राजभवन और सरकार के बीच टकराव के रूप में नही देखा जा सकता।
इसके पहले मीसा बंदियों के सम्मान समारोह में राज्यपाल ने कहा कि भारत दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 25 जून 1975 को आपातकाल लागू करके इस पर जो हमला किया गया उससे सारी दुनियां स्तब्ध रह गई थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी विचारों का सम्मान करने वालों ने जागरूकता के कारण आपातकाल का अपने तरीके से प्रतिकार किया। तत्कालीन सरकार ने ऐसा करने वालों के साथ भारी जुल्म किये। उन्होंने कहा कि आपातकाल लागू करने वाली सरकार का चुनाव में पराजित होना देश के लिए दूसरी आजादी की क्रांति थी। उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में मोदी सरकार के पदारूढ़ होने से देश में एक और क्रांति हुई है। यह विकास की क्रांति है जिससे देश इतना मजबूत हो सकेगा कि भविष्य में उसे कोई बाहरी या आंतरिक चुनौती न दी जा सके। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रधर्म के प्रबंध संपादक पवनपुत्र बादल ने किया। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति डॉ. सुरेंद्र द्विवेदी, राष्ट्रधर्म के संपादक आनंद मिश्र अभय, निदेशक सर्वेश चंद्र द्विवेदी और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुशील चंद्र द्विवेदी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर आधा दर्जन बुजुर्ग मीसा बंदियों को सम्मानित किया गया।

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News source: UP Samachar Sewa

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