नई दिल्ली।
Feb. 19, 2012. (UPSS). ताजा अध्ययन में
यह बात सामने आयी है कि एस्प्रिन कैंसर को
पैसलने से रोकती है। क्योंकि यह उस
रासायनिक हाइवे को बंद कर देती है जिसे
खाकर ट्यूमर फलता फूलता है। मेलवर्न में
पीटर मैकुलम कैंसर सेंटर के वैज्ञानिकों
ने कहा कि अध्ययन में लिंफेटिक वैसल्स
द्वारा कैंसर कोशिकाओं के परिवहन को समझा
गया है। लिंफेटिक वैसल्स यानि लसिका वाहिनी
ही कैंसर कोशिकाओं को पूरे शरीर में इधर
से उधर ले जाती है। प्रमुख शोधकर्ता
स्टीवन स्टीकर ने बताया कि हमने शोध में
पाया कि एस्प्रिन के असर से लिंफिटिक
वैसल्स का फैलाव कम होता है। इस प्रकार
ट्यूमर को गंतव्य तक पहुंचाने की क्षमता
कमजोर होती है।
डाक्टरों को लंवे समय से इस बात पर संदेह
था कि नन स्टेरायडियल या एस्प्रिन जैसे
एंटी-इंफलामेंटरी ड्रग कैंसर के फैलाव को
रोकते हैं। हालांकि उन्हें यह नहीं मालूम
था कि कैंसर कोशिकाओं का फैलाव वास्तव में
किस तरह रुकता है। लिंफेटिक नलियों पर
अध्ययन करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि
एस्प्रिन के असर से एक खास जीन अपना रूप
परिवर्तित कर लेता है। और जो कैंसर कोशिका
फैलकर आती है उसे रोक देता है। लेकिन जो
कैंसर कोशिका फैलकर नहीं आती है उस पर इसका
असर नहीं होता है। कैंसर सेल जर्नल में
प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक ट्यूमर के
विकास और कोशिकाओं के रास्तों के बीच जीन
एक महत्वपूर्ण संबंध स्थापित करता है।
जिसके कारण नलिका में सूजन बन जाती है। और
इसका फैलाव रूक जाता है। लेकिन एक बार जब
इस लसिका नलिका में फैलाव हो जाता है तो
यह एक तरह से कैसर कोशिका के लिए रास्ता
उपलब्ध करा देती है।
|