सीतापुर, 22 जून 2020, (उप्रससे)। शासन की मंशा के विपरीत कार्य करने तथा नगर पालिका परिषद में कार्य करने सहित कई मामलो मे नगर पालिका परिषद मिश्रिख की अध्यक्ष सरला देवी के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकारों को शासन
ने सीज कर दिया है। गौरतलब हो कि नगर पालिका नैमिषारण्य-मिश्रिख की चेयरमैन सरला देवी को चुनाव से ऐन वक्त पहले वोटर लिस्ट में नाम बढ़वाना महंगा साबित हुआ। चेयरमैन ने नाम तो बढ़वा लिया, लेकिन जब पिछला रिकार्ड चेक हुआ तो वोटर ग्राम मधवापुर की निकली। नैमिषारण्य के पते पर महज 15
दिन पहले से ही निवास करके वोटर लिस्ट में शामिल हो गई। यही चूक उनकी कुर्सी का काल बन गई। सभासदों ने इसे आधार बनाकर जिलाधिकारी से लेकर शासन तक शिकायत की। डीएम के निर्देश पर एसडीएम ने भी उनको मूल वोटर ग्राम मधवापुर का ही माना। इस पर सरला देवी के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार
सीज कर दिए गए। नगर पालिका मिश्रिख का चुनाव 2017 में हुआ था। चुनाव के समय सरला देवी ने अपने को नैमिषारण्य का वोटर बताकर चुनाव लड़ा। इसके बाद सभासद विष्णु कुमार सहित अन्य लोगों ने शासन व जिलाधिकारी से शिकायत दर्ज कराई कि चेयरमैन ने नैमिषारण्य से फर्जी तरीके से वोटर बन गई
है। वह मछरेहटा विकासखंड के ग्राम मधवापुर की निवासी है। वहीं से वह चुनाव में वोट डालती रही है। शासन ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी को जांच करने के निर्देश दिए थे। डीएम ने एसडीएम मिश्रिख से जांच आख्या तलब की।उप जिलाधिकारी की अपनी जांच आख्या में स्पष्ट किया
कि नगर पालिका परिषद की निर्वाचक नामावली 2017 में दक्षिण वार्ड मोहल्ला के भाग संख्या 25 नैमिषारण्य की क्रम संख्या 58 पर सरला देवी पत्नी जानकी प्रसाद का नाम अंकित है। लेकिन चेयरमैन इस पते पर निवास नहीं करती है। वह वर्तमान समय में रोटी गोदाम सीतापुर में निवास कर रही है।नैमिषारण्य
में इनका निवास न तो रहा है न ही अभिलेखों में दर्ज है। यह नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन प्रतीत होता है। वहीं, दूसरे आरोप पर अधिशाषी अधिकारी ने रिपोर्ट दी है, बिना हमारे संज्ञान में लाए 18 अगस्त 2018 को बोर्ड बैठक करके ठेकेदारों का पंजीकरण निरस्त करने की
कार्रवाई की गई थी। नगर पालिका में कार्यरत महेंद्र व सूरज आउटसोर्सिंग कर्मचारी है। यह चेयरमैन के आवास पर रह रहे है। इस पर जवाब मांगा है कि यह किन नियमों के तहत इनसे निर्धारित पद का कार्य न लेकर आवास पर कार्य कराया जा रहा है। लेकिन चेयरमैन ने इस नोटिस पर शासन को कोई जवाब
नहीं दिया। आखिर में शासन ने उनके प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार सीज कर दिए है।चुनाव के समय मिश्रिख विधायक ने अपनी पूरी प्रतिष्ठा लगाकर सगे छोटे भाई जानकी की पत्नी सरला देवी को चुनाव में जीत दिलवा दी। कुछ दिन तक तो ठीक-ठाक चलता रहा। लेकिन करीब छह माह बाद ही इनके बीच मनमुटाव
शुरू हो गया। हालात यह रहे कि विधायक को चेयरमैन ने एकदम किनारे कर दिया। चेयरमैन अपने पुत्र के साथ नगर पालिका चलाने लगी। लेकिन विधायक ने इसे अपनी प्रतिष्ठा से खिलवाड़ समझा। वह लगातार सभासदों की शिकायत पर जांच करवाते रहे। कई बार वह खुद ही सार्वजनिक मंच पर चेयरमैन के खिलाफ
बोलते रहे। मिश्रिख में बनी गुणवत्ताविहीन सड़कें, शौचालय, स्ट्रीट लाइटों की बराबर शिकायतें होती रही। इन सब कारणों से सरला देवी की कुर्सी छिन गई। |