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शोहदो के हमले में घायल Ghaziabad के पत्रकार विक्रम जोशी की मौत |
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गाजियाबाद , 22 जुलाई, 2020 (उप्रससे)।
छेड़छाड़ का विरोध करने पर शोहदों के हमले में घायल पत्रकार विक्रम जोशी की आज सुबह मृत्यु हो गई। उन्हें सोमवार की रात आधा दर्जन शोहदों ने बिजय नगर थाना क्षेत्र के माता कालोनी में गोली मार दी थी। घटना के समय वे अपनी दो बेटियों के साथ बाइक से बहन के घर जा रहे थे। रास्ते में रोककर उन्हें
बेटियों के सामने ही सिर में सटाकर गोली मार दी गई थी। गंभीर रूप से घायल विक्रम का चिकित्सालय में इलाज चल रहा था, जहां आज सुबह उनका निधन हो गया। |
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चिंतित करती कोरोना संक्रमण से आगरा के श्रमजीवी पत्रकार की मृत्यु |
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लखनऊ, 08 मई 2020> (उत्तर प्रदेश समाचार सेवा)।
कोरोना वायरस ने प्रदेश में श्रमजीवी पत्रकार की भी जान ले ली है। आगरा में दैनिक जागरण के उप समाचार संपादक पंकज कुलश्रेष्ठ की सात मई को चिकित्सालय में मृत्यु हो गई। वह आगरा के एसएन मेडिकल कालेज के चिकित्सालय में भर्ती थे। प्रदेश में कार्य क्षेत्र में सक्रिय किसी श्रमजीवी पत्रकार की पहली मौत
है, जोकि समूचे मीडिया जगत के माथे पर चिंता की लकीर खींच रही है।
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इन्स्पेक्टर ने पत्रकार को पीटा, जीप में
लादकर लाक अप में ठूंसा |
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Publised
on : 12 June 2014 Time 20:18 |
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लखनऊ। दो पक्षों में
झगड़े की सूचना पर मौके पर पहुंचे एक
पत्रकार से बीती रात इलाके के पुलिस
इंस्पेक्टर ने मारपीट की और जीप में लादकर
थाने के लाकअप में ठूंस दिया। पुलिस ने
थाने में भी पत्रकार की पिटाई की। घटना की
जानकारी मिलने पर आक्रोशित पत्रकारों ने
देर रात जिलाधिकारी आवास पर धरना दिया।
जबकि शुक्रवार की शाम पत्रकार इस मामले पर
मुख्यमंत्री से मिले। मुख्यमंत्री ने मामले
में सख्त कार्रवाई की आश्वासन दिया है।
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हिन्दी पत्रकारिता के सम्मुख चुनौतियां आज
भी मौजूद-अशोक |
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Publised
on : 31 May 2014 Time 19:13 |
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लखनऊ। हिन्दुस्तान में
हिन्दी पत्रकारिता के सम्मुख जो समस्याएं
और चुनौतियां उदन्त मार्तण्ड समाचार पत्र
और उसके संपादक जुगुल किशोर शुक्ल के समय
में थीं आज भी हिन्दी पत्रकारिता उन्हीं
समस्याओं और चुनौतियों से संघर्षरत है।
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वरिष्ठ पत्रकार शिव कुमार गोयल का निधन |
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Publised
on : 29 April 2014 Time 18:30 |
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पिलखुआ
(हापुड़)। वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार गोयल
का लम्बी बीमारी के बाद मंगलवार की सुबह
निधन हो गया। वह 76 वर्ष के थे। श्री गोयल
काफी समय से बीमार थे। नगर स्थित आवास पर
आज सुबह उन्होंने शरीर त्याग दिया।
ब्रजघाट में गंगा के तट पर मंगलवार की शाम
उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
शिवकुमार गोयल ने हिन्दुस्थान समाचार
के साथ जुडकर पत्रकारिता की शुरुआत की थी।
ऐजेंसी के दिल्ली ब्यूरो में भी वह
नियुक्त रहे। स्व. गोयल ने धार्मिक और
साहित्यिक पत्रकारिता के लिए विशेष योगदान
किया। वह अभी तक प्रेरक और ऐतिहासिक
प्रसंग लिख रहे थे। आध्यात्मिक पत्रकारिता
उन्हें अपने संत साहित्य के प्रख्यात लेखक
पिता रामशरण दास से विरासत में मिली। |
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Bhopal: न्यू मीडिया के
भविष्य पऱ चर्चा
12
को |
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Tags: Seminar: New Media future in
India, Devlopment with science thought,
Blogers meet, Organizor Spandan Bhopal |
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News source: UP Samachar Sewa |
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Publised
on : 08 August 2012, Time: 07:57 |
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भोपाल,
8 अगस्त। (उप्रससे)। 12
अगस्त को भोपाल में न्यू
मीडिया संचारकों का जमावडा हो रहा
है। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं
प्रौद्योगिकी परिषद और स्पंदन
संस्था के संयुक्त तत्वावधान में
राष्ट्रीय मीडिया चौपाल का आयोजन
हो रहा है। इस चौपाल का थीम होगा
- " विकास की बात विज्ञान के साथ"|
इस चौपाल में
देशभर के
ब्लॉगर
वेब साईट के संचालक और स्तंभकार
शिरकत करेंगे। आयोजन से जुडे
स्पंदन संस्था के सचिव अनिल
सौमित्र ने बताया कि इस चौपाल में
न्यू मीडिया की समस्याओं, अवसरों
और चुनौतियों पर खुली बह्स होगी।
दरअसल न्यू मीडिया का दायरा और
प्रभाव जिस कदर तेजी से बढ रहा है
उसके बरक्श इसके बारे में सरकार
और समाज में चिंतन की कमी है।
तेजी से बढते हुए मीडिया के इस
रूप को राष्ट्रीय उत्कर्ष के लिये
उपयोग किया जा सकता है।
गौरतलब है कि गत
दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री
नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया से
जुडे लोगों के साथ गंभीर चर्चा
की। विकास पुरूष और हिदुत्वप्रेमी
होने के कारण नरेन्द्र मोदी हमेशा
चर्चा में रहे हैं।
ब्लॉगर्स
और सोशल मीडिया के लोगों के साथ
नरेन्द मोदी की यह मुलाकात
सुर्खियों में रही। आयोजकों के
अनुसार चौपाल के विभिन्न सत्रों
में - न्यू मीडिया : समस्या, अवसर
और चुनौतियां तथा विज्ञान के
लोकव्यापीकरण में न्यू मीडिया की
भूमिका पर चर्चा होगी।
नवीन मीडिया की
व्याप्ति और ताकत का उपयोग विकास
और विज्ञान के लोकव्यापीकरण के
तौर-तरीकों पर बात होगी। नये
मीडिया के विशेषज्ञ और कार्यकर्ता
मुद्दों की तलाश तो करेंगे ही,
संभव है प्रिंट माध्यम के साथ
इसके बेहतर संबंधों की तलाश भी की
जाये। असल में मीडिया चौपाल का
आयोजन अपनी तरह का अभिनव प्रयोग
है। नये मीडिया के संचारकों का
अपनी तरह का यह पहला जमावड़ा
होगा। इसमें देश के शीर्षस्थ
ब्लॉगर, वेब-पोर्टल
और सोशल मीडिया पर कार्यरत
संचारकों के साथ ही विकास, विज्ञान,पर्यावरण
आदि से जुड़े मुद्दों पर जनमत
निर्माण करने वाले स्तंभकार भी
बड़ी संख्या में हिस्सेदारी
करेंगे।
आयोजक संस्था के
अनुसार चौपाल का उद्घाटन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
सह-संपर्क प्रमुख राममाधव, मीडिया
क्षेत्र ही महत्वपूर्ण हस्ती और
राज्यसभा सदस्य स्मृति
ईरानी, साहित्यकार और
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के
प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव,
वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शुक्ल
(कार्यकारी संपादक,
सामना,मुम्बई),
के.जी. सुरेश (नई
दिल्ली),
गिरीश उपाध्याय और विज्ञान संचारक
जयकुमार (कोच्ची) की उपस्थिति में
होगा। राज्यसभा सांसद और
मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष
प्रभात झा, मध्यप्रदेश के
जनसंपर्क और संस्कृति मंत्री
लक्ष्मीकांत शर्मा और कुलपति
बृजकिशोर कुठियाला की उपस्थिति
में चौपाल का समापन होगा। मीडिया
चौपाल के विभिन्न चर्चा सत्रों
में विस्फोट न्यूज नेटवर्क के
संजय तिवारी (नई
दिल्ली),
ब्लॉगर
और पत्रकार
अनुराग अन्वेषी (नई
दिल्ली),
रविशंकर (नई
दिल्ली),
अमलेन्दु उपाध्याय
(नई
दिल्ली),
प्रख्यात स्तंभकार आर.एल फ्रांसिस
(नई
दिल्ली),
मुकुल कानिटकर (कन्याकुमारी),
प्रवक्ता डाट कॉम
के संजीव सिन्हा (नई
दिल्ली),
नेटवर्क 6 के
आवेश तिवारी (वाराणसी),
सुरेश चिपलूणकर
(उज्जैन), वरिष्ठ पत्रकार अनिल
पाण्डेय (नई
दिल्ली),
चण्डीदत्त शुक्ल (जयपुर), रवि
रतलामी (भोपाल), जनोक्ति समूह के
जयराम विप्लव (नई
दिल्ली),
अहमदाबाद स्थित
ब्लॉगर
संजय बेंगानी और पंकज त्रिवेदी,
लंदन स्थित
ब्लॉगर
शिखा
वार्ष्णेय,
भारतवाणी वेब साईट के संचालक
लखेश्वर चन्द्रवंशी, (नागपुर्), रायपुर
से गिरीश पंकज, जयप्रकाश मानस
(सृजनगाथा डाटकाम), पंकज झा,
संजीत त्रिपाठी,
ललित शर्मा,
अनिल द्विवेदी,
मुम्बई से नये मीडिया के दिग्ग्ज
चन्द्रकांत जोशी,
प्रदीप गुप्ता, आशुतोष कुमार
सिंह, जितेन्द्र दवे, नेटवर्क 18
के निमिष कुमार, चंडीगढ से
आशा अर्पित, दिल्ली से
शिवानी पाण्डेय,
सीत मिश्रा,
हर्षवर्धन
त्रिपाठी (दिल्ली),
राजीव गुप्ता (नई
दिल्ली),
आशीष कुमार
‘अंशु’
(नई
दिल्ली),
ऋतेश पाठक
(नई
दिल्ली),
उमाशंकर मिश्र (नई
दिल्ली), लिमटी खरे
(नई दिल्ली),
अरुण सिंह (लखनउ),
प्रभाष झा (नई दिल्ली). स्वदेश
सिंह (दिल्ली), भुवन भास्कर
(दिल्ली),
गौतम कात्यायन (पटना),
केशव कुमार
(नई
दिल्ली),
अंकुर विजयवर्गीय (नई
दिल्ली), सामाजिक कार्यकर्ता और
ब्लॉगर
किरण शाहीन
(दिल्ली), पर्यावरण और पानी के
लिये कार्यरत केसर सिंह और
मीनाक्षी अरोडा (इंडिया
वाटर पोर्टल नई दिल्ली), विज्ञान
संचारक अंकिता मिश्रा
(दिल्ली), नीरु सिंह ज्ञानी
(ग्वालियर) आकाशवाणी नई दिल्ली
में कार्यरत
ब्लॉगर
वर्तिका तोमर और
श्वेता कुमारी,
लोकसभा टीवी में
कार्यरत सिद्धार्थ झा (नई
दिल्ली), देवपुत्र पत्रिका के
संपादक विकास दवे (इंदौर), मीडिया
शिक्षा में कार्यरत सागर के आशीष
दूबे, धार के विजय पाटिल, रतलाम
के राजेश मूणत, भोपाल से
सरिता अरगरे,
अल्पना मिश्रा, विधुल्लता, जया
केतकी, पर्यावरण और विकास
संबंधी स्तंभकार पंकज चतुर्वेदी
और महेश परिमल, पत्रकार शिरीष
खरे, रविन्द्र स्वप्निल,
स्वाति तिवारी, शशि तिवारी,
न्यू मीडिया शिक्षण से संबद्ध
पी शशिकला, साहित्यकार कुमकुम
गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता
नरेन्द्र जैन, विज्ञान संचारक
सुशील शुक्ला, लाल बहादुर ओझा, ओम
प्रकाश गौड, राजू कुमार, संदीप
भटट (खंडवा), लोकेन्द्र सिंह
(ग्वालियर) आदि की स्वीकृति हमें
प्राप्त हो चुकी है। इन सभी के
साथ कई अन्य ख्याति प्राप्त
ब्लोगर्स, वेब संचालक और स्तंभ
लेखक इस चौपाल में शिरकत करेंगे।
इनके
साथ ही चौपाल में क्भोपाल के
मीडिया लेखक प्रभु झिंगरन और
विज्ञान और आध्यातिमक संचार पर
कार्यरत कोलकाता के योगी स्वामी
बी. एन. संता और स्वामी बी.वी.
मिनी विशेष तौर पर उपस्थित होंगे।
ये सभी संचारक
न्यू मीडिया के लिये एक
साझा मंच विकसित
करने का प्रयास भी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि इस मीडिया चौपाल
में प्रतिनिधियों के द्वारा नये
मीडिया से जुडे कई मुद्दों पर
चर्चा होगी। इन मुद्दों में
मुख्यत: "क्या अब नया मीडिया ही
मुख्यधारा है,
मीडिया बनाम न्यू मीडिया, न्यू
मीडिया पहुच और प्रभाव,
राजीनति के झरोखे से वेब मीडिया,
न्यू
मीडिया में जय किसान और जय
विज्ञान, भाषाई शिष्टता बनाम वेब,
अंतर्राष्ट्रीय वेब जगत में
हिन्दी,
ब्लॉग बनाम माइक्रो ब्लोगिंग साईट,
जनांदोलन और सोशल मीडिया,
वेब जगत का आर्थिक मॉडल,
सरकारी अंकुश : ज़रूरत या सनक,
न्यू मीडिया में स्व नियमन की
ज़रूरत, अभिव्यक्ति की आज़ादी और
नया मीडिया,
कैसी हो
नई मीडिया
की आचार संहिता,
नया मीडिया
: भूगोल अब इतिहास की वस्तु,
फॉण्ट की समस्या और यूनिकोड
समाधान,
वैज्ञानिक संचार ज़रूरतें,
संस्कृति और संवाद वाया वेब,
कोपीराईट का सवाल
और न्यू मीडिया,
इन्टरनेट गांव तक : खयाली पुलाव
या सच्चाई,
राष्ट्रीय चुनौतियों में
इंटरनेट
की भूमिका,
क्या नेट दुधारी तलवार है आदि
प्रमुख हैं।
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विधान सभा में
गूंजा हेमन्त तिवारी पर हमले का मामला |
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संसदीय कार्य
मंत्री का आश्वासन आज ही होगी गिरफ्तारी |
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News
source: Sarvesh Kumar Singh, U.P.Samachar Sewa |
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Publised
on : 12 June 2012, Time: 19
: 40 |
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Lucknow,
12 June 2012, Uttar Pradesh
Samachar Sewa लखनऊ, 12
जनवरी। (उप्रससे)। वरिष्ठ पत्रकार
हेमन्त तिवारी पर हुए जानलेवा हमले का
मामला आज विधान सभा में गूंजा। उनपर
अराजक तत्वों द्वारा किये गए हमले को
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला करार
देते हुए सदन ने एक स्वर से इसकी निंदा
की तथा अभियुक्तों की शीघ्र गिरफ्तारी
की मांग की गई। सरकार ने सदन में
आश्वासन दिया कि अति शीघ्र पत्रकार
तिवारी पर हमला करने वाले अभियुक्त को
गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
श्री तिवारी पर हमले का मामला आज विधान
सभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव के रूप में
नियम 56 के तहत कांग्रेस के प्रमोद
तिवारी ने उठाया। श्री तिवारी ने कहा कि
वरिष्ठ पत्रकार पर हमला लोकतंत्र के चौथे
स्तम्भ पर आक्रमण है। उन्होंने कहा कि
सरकार को इसे चुनौती के रूप में लेना
चाहिए। हमलावरों ने न केवल पत्रकार पर
हमला किया बल्कि मौके पर पहुंची पुुलिस
पार्टी पर कार चढा़ कर मारने का प्रयास
किया। उन्होंने कहा कि ऐसी घटना करने
वालों के खिलाफ इतनी कड़़ी कार्रवाई की
जाए कि वे फिर कोई हिम्मत न कर सकें।
उन्होंने बताया कि यह घटना दैनिक जागरण
चौराहे पर हुई जोकि पुलिस महानिदेशक
कार्यालय के समीप है।
घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए भाजपा
विधान मण्डल दल के नेता हुकुम सिंह ने
कहा कि यह घटना समाज के लिए चिंतनीय है।
सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गुण्डों के खिलाफ कड़ी
कार्रवाई होनी चाहिए। नेता विरोधी दल
स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी घटना की निंदा
की। उन्होने कहा कि चार दिन बाद भी घटना
पर कार्रवाई नहीं होना निदंनीय और
चिंतनीय है। लोकमहत्व के इस प्रश्न पर
अविलम्ब कार्रवाई होनी चाहिए। श्री
मौर्य ने बताया कि पुलिस उपनिरीक्षक की
ओर से भी घटना की नामजद रिपोर्ट दर्ज
करायी गई है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं
होना अत्यन्त चिंता की बात है।
सदन में उठे इस मामले पर संसदीयकार्य
मंत्री आजम खां ने कहा कि अभियुक्तों की
आज ही गिरफ्तारी की कोशिश की जाएगी।
उन्होंने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ
सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने
कहा कि पत्रकारिता पर हमला लोक तंत्र पर
हमला है। इसे कतई भी बर्दाश्त नहीं किया
जाएगा।
क्या है मामला: स्वतंत्र पत्रकार हेमन्त
तिवारी इण्डियन फेडरेशन आफ वर्किंग
जर्नलिस्ट्स (आईएफडबल्यूजे) के
राष्ट्रीय सचिव हैं। श्री तिवारी 7 एवं
8 जून की रात करीब 12 बजे प्रेस क्लब से
अपने बटलर पैलेस स्थित आवास पर जा रहे
थे। श्री तिवारी मार्ग में दैनिक जागरण
चौराहे के पास एक स्थान पर अपनी कार से
रुके थे। इसी दौरान पीछे से आई एक सफारी
कार नंबर यूपी 63 एच ०००1 से उतरे कुछ
युवकों ने उनकी कार पर हाकियों से हमला
कर दिया। श्री तिवारी ने विरोध किया तो
वे उनपर भी हमलावर हो गए। श्री तिवारी
ने किसी तरह भागकर जान बचायी। हमलावरों
ने श्री तिवारी के ड्राइवर पर भी हमला
किया। इसी दौरान आसपास के लोग इकट्ठा
होने पर हमलावर फरार हो गए।
घटना की सूचना श्री तिवारी द्वारा
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दिये जाने
पर तत्काल मौके पर पुलिस पहुंच गई।
लेकिन दुस्साहसिक अभियुक्त अपनी सफारी
कार लेकर फिर से लौट आये। उन्हें पुलिस
उपनिरीक्षक ने रोकने का प्रयास किया तो
उनपर कार चढाऩे की प्रयास किया। वे कार
को दौड़ाते हुए फिर से फरार हो गए। इस
पूरे प्रकरण की रिपोर्ट हेमन्त तिवारी
के चालक नरेन्द्र पाण्डे द्वारा दर्ज
करायी गई है। उधर उपनिरीक्षक ओमप्रकाश
यादव ने भी रिपोर्ट दर्ज करायी है।
उन्होंने अभियुक्त को नामजद किया है।
लेकिन पुलिस चार दिन में मात्र एक
व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकी है। जोकि
कार का मालिक है। अभी तक मुख्य अभियुक्त
की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। पता चला
है कि उक्त अभियुक्त का जागरण चौराहे पर
आतंक है। वह अक्सर लोगों के साथ झगड़ा
करता है। कारों पर हमला करके उनके शीशे
तोड़ देता है। कारों को क्षतिग्रस्त करना
उसका रोजमर्रा का काम है।
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Narad के चैरासी सूत्र
हैं पत्रकारिता के
शाश्वत सिद्धान्त -
K. Vikram Rao |
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मीडिया पर अंकुश के लिए कांग्रेस नियामक
प्राधिकरण बनाना चाहती है |
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To control media come out a private Bill
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पत्रकार काजमी की गिरतारी के विरोध में
उग्र प्रदर्शन, ट्रेनें रोकीं
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शताब्दी व उत्कल एक्सप्रेस को आधे घंटे तक
रोका रखा |
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उग्र प्रदर्षनकारियों ने ट्रेनों पर पत्थर
भी फंेके |
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PTI Correspondent Umesh passed
away |
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Tags:
The PTI Correspondent Mr. Umesh
Srivastava passed away early this
morning. |
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Publised on :
31 March 2012, Time: 21:40
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Pratapgarh,
March 31, U.P.Web News. The PTI
Correspondent Mr. Umesh Srivastava
passed away early this morning. He was
suffering from throat cancer for the
last several months. His last rites were
performed in Allahabad. He is survived
by his two sons and a daughter who is
married. His wife is the Child
Development Program Officer (CDPO) in
Pratapgarh.
People were shocked here today when the
news came that Mr. Srivastava is no
more. He was very popular not only
amongst journalists but also amongst
common people. A lawyer by profession,
Mr. Srivastava was very much inclined to
journalism since the beginning. He
started as a part-time correspondent of
Lok Mitra, then switched over to
Nav Jeevan and later got an
opportunity to work for the Press
Trust of India. He was also
accredited by the Department of
Information and Public Relations UP. He
was also the President of Pratapgarh
Press Club.
A condolence meeting of the journalists
was held here this afternoon, in which
the speakers recalled the contributions
of Mr. Umesh Srivastava in the field of
journalism and social service. |
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अमर उजाला ने प्रकाशित की
भारत में पोर्नोग्राफी पर रिपोर्ट
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Most
Indian
Internet user like Pornography |
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Exit Polls: स्टार और
सहारा को हाई कोर्ट का नोटिस |
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Tags:
Allahabad
H.C. issues notice to
Sahara & Star TV channels over exit
polls |
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Publised
on : 09 February 2012
Time 12:03 |
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Lucknow,
09 Feb 12. (Report from U.P.Samachar
Sewa Correspondent). भारत निर्वाचन आयोग के
दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप में इलाहाबाद
हाई कोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने दो न्यूज चैनलों स्टार
न्यूज और सहारा समय को नोटिस जारी किये हैं। इन दोनों
ने आयोग के प्रतिबंध के बावजूद उत्तर प्रदेश विधान सभा
चुनाव में एक्जिट पोल का प्रसारण किया है। इलाहाबाद
हाई कोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ के जस्टिस अमर सरन और
जस्टिस रमेश सिंहा की पीठ ने अधिवक्ता सैयद मोहम्मद
फजल द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए
उक्त निर्देश दिये।
पीठ ने कहा कि मीडिया निर्वाचन आयोग द्वारा 12 जनवरी
2012 को जारी अधिसूचना का कड़ाई से पालन करें। हाई
कोर्ट ने ये निर्तेश इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिंट
मीडिया दोने के लिए जारी किये हैं। आयोग ने दोनों चैनलो
से पूछा निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन
करने के आरोप में क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
न्यायालय ने भारत निर्वाचन आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार
से भी दो सप्ताह में जबाव मांगा है कि उन्होंने आचार
अधिसूचना का पालन कराने के लिए क्या उपाय किये।
ज्ञातव्य है कि इन दोनों चैनलों ने एक,तीन और चार फरवरी
को एक्जिट पोल दिखाये हैं।
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Porn clips: पूर्व
मंत्री के क्षेत्र में मीडिया पर सेंसर |
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Tags: Bengaluru, Porn clips issue, pornographic
clips |
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Publised
on : 09 February 2012
Time 10:01 |
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Bengaluru,
09 Feb 12. (Report from U.P.Samachar
Sewa Correspondent). पोर्न क्लिपिंग देखने के
आरोप में मंत्री पद गंवाने वाले कर्नाटक राज्य के
मंत्री लक्ष्मण सावदी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में
खबरों का प्रसारण रोकने तथा मतदाताओं को संबंधित
जानकारी से दूर रखने के लिए मीडिया पर सेंसरशिप लागू
कर दी। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र अठानी में
बुधवार को न तो कोई समाचार पत्र वितरित होने दिया और न
ही किसी टी.वी.चैनल का प्रसारण हो सका। समाचार पत्रों
का वितरण रोकने के लिए उन्होंने क्षेत्र में बंटने वाले
सभी स्थानीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों की समस्त
प्रतियां खरीद लीं या उन्हें धमकाकर बांटने से रुकवा
दिया। इस कारण समाचार पत्रों के बण्डल खुले ही नहीं।
टी.वी.चैनलों का प्रसारण रोकने के लिए उन्होंने
क्षेत्र की बिजली आपूर्ति ही बंद करा दी। जिसकी वजह से
कोई भी चैनल प्रसारित नहीं हुआ।
ज्ञातव्य है कि मंगलवार को पूर्व सहकारिता मंत्री
लक्ष्मण सावदी अपने दो अन्य साथी मंत्रियों महिला एवं
बाल कल्याण मंत्री सी.सी.पाटिल, साइंस और टेक्नोलाजी
मंत्री कृष्णा पालेमर विधान सभा की कार्रवाई के दौरान
सदन में अपने मोबाइल पर अश्लील फिल्म देखते हुए कैमरे
कैद हो गए थे। इसके बाद मचे बवाल पर भाजपा के
राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के निर्देश पर तीनों
मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया गया था।
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पत्रकार रामनारायण पर्यटक
पंचतत्व में विलीन |
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Publised
on : 30 January 2012
Time 20:08 |
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लखनऊ,
30 जनवरी। (उप्रससे)।
पत्रकार और साहित्यकार रामनारायण त्रिपाठी
पर्यटक आज दोपहर गोमती तट स्थित
भैंसाकुण्ड श्मशान घाट पर पंचतत्व में
विलीन हो गए। उनके शव को अनुज ने मुखानि
दी। अंतिम संस्कार के अवसर पर भारी संख्या
में पत्रकार,
साहित्यकार,
राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित
थे। रामनारायण त्रिपाठी का कल अपरान्ह
निधन हो गया था। वे लगभग 55
वर्ष के थे।
स्व.त्रिपाठी शव यात्रा पूर्वान्ह लगभग
10
बजे राजाजीपुरम् स्थित उनके आवास से रवाना
हुई। राजेन्द्र नगर स्थित राष्ट्रधर्म
कार्यालय पर उनके शव को अन्तिम दर्शन के
लिए रखा गया। लगभग
12
बजे भैंसाकुण्ड श्मशान घाट पर अन्त्येष्टि
की गई। इस अवसर पर उनके परिवारीजनों के
साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनेक
वरिष्ठ पधाधिकारी मौजूद थे। अन्त्येष्टि
के अवसर पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक
ओमप्रकाश,
अशोक बेरी,
चन्द्रिका प्रसाद,
नवल किशोर,
सुरेश कुमार,
प्रांत प्रचारक कृपाशंकर,
सह प्रांत प्रचारक मुकेश,
क्षेत्र कार्यवाह रामकुमार,
प्रांत संघचालक प्रभु नारायण श्रीवास्तव,वरिष्ठ
पत्रकार नन्दकिशोर श्रीवास्तव,
आनन्द मिश्र अभय,
नरेन्द्र भदौरिया,
अखिलेश वाजपेयी,
सर्वेश कुमार सिंह,
सुभाष सिंह,
भारत सिंह,
भारतीय जनता पाटी के पूर्व संगठन
महामंत्री संजय जोशी,
प्रदेश संगठन महामंत्री राकेश कुमार,
उपाध्यक्ष डा.महेन्द्र सिंह,
सचिव संतोष सिंह और दयाशंकर सिंह मौजूद
थे। इनके अलावा अन्त्तेटि के अवसर पर भारी
संख्या में लेखक,
साहित्यकार उपस्थित थे।
राष्ट्रीय नवोदित साहित्य परिषद् के
संस्थापक अध्यक्ष,
राष्ट्रीय साहित्य परिषद् के अखिल भारतीय
महामंत्री और मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म
के सह सम्पादक रामनारायण त्रिपाठी विलक्षण
प्रतिभा के पत्रकार और साहित्यकार थे। गत
दिनों गंभीर पेट की बीमारी के चलते उनका
इलाज स्थानीय संजय गांधी स्नात्कोत्तर
चिकित्सा संस्थान (एसजीपीजीआई) में चला।
तदुपरान्त उन्हें हरिद्वार स्थित बाबा
रामदेव के पतंजलि योग संस्थान में इलाज के
लिए भर्ती करया गया। कल उन्हें राजधानी
लाया गया था,
मार्ग में ही उनक ा निधन हो गया।
स्व.पर्यटक मूल रूप से उन्नाव जनपद के
निवासी थे। आजकल वे राजाजीपुरम् में पत्नी,
दो पुत्रियों के साथ रहते थे।
स्व.त्रिपाठी ने युवा साहित्यकारों को
दिशा देने तथा राष्ट्रवादी साहित्य की
चेतना जगाने के लिए राष्ट्रीय नवोदित
साहित्य परषिद् की स्थापना की थी। इसके
उपरान्त राष्ट्रीय स्तर पर बनी राष्ट्रीय
साहित्य परिषद् के भी वे राष्ट्रीय
महामंत्री निर्वाचित हुए थे। वे विगत लगभग
दो दशक से पूर्णकालिक पत्रकार के रूप में
राष्ट्रधर्म को अपनी सेवाएं दे रहे थे। वे
राष्ट्रीय स्वयंसेवक के जुडे थे तथा कुछ
समय प्रचारक भी रहे। आजकल उनके अनुज
शिवनारायण त्रिपाठी राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ के पूर्वी क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक
हैं। मातृभाषी के प्रति स्व.त्रिपाठी में
उत्कट ललक थी। प्रदेश में उर्दू को दूसरी
राजभाषा बनाये जाने पर हुए आन्दोलनों में
भी उन्होंने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था।
उपजा कार्यालय और राष्ट्रधर्म में शोक सभा
31
को
राष्ट्रधर्म के सह सम्पादक रामनारायण
त्रिपाठी पर्यटक को श्रध्दाजलि अर्पित
करने के लिए शोक सभा कल
31
जनवरी को
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा)
कार्यालय 31-बी,
दारुलशफा में दोपहर
12 बजे तथा
राष्ट्रधर्म कार्यालय में श्रध्दांजलि सभा
सायं 4
बजे
आयोजित की गई है।
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पत्रकार सूचना
अधिकार का उपयोग कर जनआकांक्षाओं को पूरा
कर सकते हैं: वीरेन्द्र सक्सेन |
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Publised
on : 05 December 2011
Time 20:23 |
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46वें
स्थापना दिवस पर उपजा की वेबसाइट का लोकार्पण
Lucknow
लखनऊ, 05 दिसम्बर। सूचना आयुक्त
वीरेन्द्र सक्सेना ने कहा है कि पत्रकार
सूचना अधिकार का उपयोग करके जनआकांक्षाएं
पूरी कर सकते हैं। सूचना अधिकार जनता की
समस्याओं के निराकरण का सशक्त माध्यम है।
श्री सक्सेना आज यहां यू.पी.जर्नलिस्ट्स
एसोसिएशन (उपजा) 46वें स्थापना दिवस पर
संस्था की वेबसाइट www.upja.org •के
लोकार्पण अवसर पर प्रदेश कार्यालय में
आयोजित समारोह में विचार व्यक्त कर रहे
थे।
जबकि अन्य रायों में पत्रकारों ने इसका
उपयोग करके अच्छी सूचनाएं प्रकाशित की है।
यहां पत्रकार जनसूचना अधिकार में सेूचनाएं
प्राप्त करने में उतनी भागीदारी नहीं कर
रहे हैं, जितनी कि उनको करनी चाहिए।
पत्रकार इसका उपयोग करके परोक्ष, अपरोक्ष
रूप से जनता का बहुत अधिक कल्याण कर सकते
हैं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वेबसाइट
शुरु करके उपजा ने पत्रकारिता में योगदान
किया है। उन्होने कम्प्यूटर और इंटरनेट को
ज्ञान का भंडार बताया । उन्होने कहा कि
इसका प्रयोग करके पत्रकार सफलता पूर्वक
कार्य कर सकते हैं। श्री सक्सेना ने कहा
कि अब पत्रकारिता करने के लिए तकनीक का
ज्ञान होना आवश्यक है। पत्रकार यदि तकनीक
में दक्ष नहीं होंगे तो सफल नहीं होंगे।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने
कहा कि उपजा को जनसूचना अधिकार सेल का गठन
करना चाहिए। कार्यक्रम में वरिष्ठ
उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, पी.टी,आई के
ब्यूरो प्रमुख प्रमोद गोस्वामी ने भी
विचार व्यक्त किये। स्थापना पर दिवस पर
आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्ष उपजा के
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पी.बी.वर्मा ने की।
उन्होंने युवा पत्रकारों से अपील की कि वे
निष्पक्ष पत्रकारिता करके जनता की समस्याओं
का निराकरण करें। कार्यक्रम का संचालन करते
हुए उपजा के प्रदेश महामंत्री सर्वेश
कुमार सिंह ने कहा कि वेबसाइट संगठन संबंधी
सूचनाओं के साथ-साथ मीडिया की समस्त उपयोगी
जानकारी प्रस्तुत करेगी। उन्होंने बताया
कि उपजा की वेबसाइट सम्पूर्ण मीडिया
साल्यूशन प्रस्तुत करेगी। इस पर मीडिया
जाब्स की भी जानकारी दी जाएगी। समारोह में
आये अतिथियों और पत्रकारों का आभार लखनऊ
जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (एलेए) के अध्यक्ष
अशोक मिश्र ने किया।
इसके पूर्व राय सूचना आयुक्त वीरेन्द्र
सक्सेना ने उपजा की अधिकृत वेबसाइट
www.upja.org का लोकार्पण किया। समारोह
में प्रमुख रूप से कृष्णमोहन मिश्र,
अरविन्द शुक्ला, किशन सेठ, सुभाष सिंह,
भारत सिंह, दिलीप अनिोहोत्री, सुनील
त्रिवेदी समेत भारी संख्या में पत्रकार
मौजूद थे।
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पत्रकारों
को उनकी योग्यता के अनुरुप सम्मान मिलना
चाहिए :सुबोध |
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Publised
on : 27 November 2011
Time 20:11 |
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Ranchi
रांची 27 नवंबर .वार्ता.केंद्रीय पर्यटन
मंत्री सुबोध कांत सहाय ने
भारतीय पत्रकारिता में नेशनल यूनियन ऑफ
जर्नलिस्ट .एनयूजे.के
महत्व तथा भूमिका की प्रशंसा करते हुए आज
कहा कि पत्रकारों को
उनकी योग्यता के अनुरुप सम्मान मिलना
चाहिए ।
श्री सहाय ने यहां होटवार के खेलगांव में
एनयूजे के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के
अंतिम दिन कहा कि भारत निर्माण में
पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।
झारखंड में प्रचुरता के बावजूद साधनहीनता
की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इतने
बड़े आयोजन का राज्य में सफलता पूर्वक
संपन्न होना एक उपलिब्ध है । उन्होंने
पत्रकारिता के वर्तमान स्वरुप की ओर इशारा
भी किया और यहां वैचारिक जिम्मेदारी मे आए
भटकाव की चर्चा की ।
इस अवसर पर झारखंड विधानसभा में विपक्ष के
नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह ने पत्रकारिता
मे आई चुनौतियों की विस्तार से चर्चा की
और एन यू जे के प्रयासों को सराहा । समापन
समारोह में एन यू जे के राष्ट्रीय अध्यक्ष
प्रज्ञानंद चौधरी ने सम्मेलन की दो दिनों
की गतिविधियों पर प्रकाश डाला ।
राष्ट्रीय महासचिव रासबिहारी ने समारोह की
गतिविधियों के निष्कर्ष में कहा कि इन दो
दिनों में देश भर से आए पत्रकारों को यहां
आत्मावलोकन करने का अवसर मिला है । झारखंड
यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के अध्यक्ष रजत गुप्ता
ने सूचना तकनीक में तेजी से आ रहे बदलावो
की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि अब
समय इन तकनीकों को अपना कर इनके साथ चलने
का है ।
इससे पहले समापन समारोह की शुरुआत झारखंड
की पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए 20
पत्रकारों को सम्मानित करने के साथ हुई ।
कश्यप आई bank की डा0 भारती कश्यप की ओर
से इन पत्रकारों को डा0 भरत प्रसाद कश्यप
memorial पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पत्रकारों पर देश मे हो रहे हमलों की कड़ी
निंदा करते हुए सम्मेलन में एक प्रस्ताव
पारित करके केंद्र सरकार से मांग की गई कि
वह पत्रकारों की सुरक्षा के लिए अविलंब
केंद्रीय कानून बनाए । साथ
ही सभी राज्य सरकारों से मांग की गई कि वे
भी अपने यहां इसी प्रकार के कानून बनाकर
पत्रकारों की सुरक्षा सुनििश्चत करें ।
सम्मेलन में एक स्वर से मांग की गई कि किसी
भी पत्रकार को धमकाने ्डराने ् हमले अथवा
हत्या की स्थिति में तुरंत प्राथमिकी दर्ज़
कर पुलिस अधीक्षक से दो दिन मे जांच कराकर
दोषियों को त्वरित अदालतों के जरिए दंडित
किया जाए । |
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Jharkhand
Speaker pitches for journalists’
security |
|
violence has no
place in a democratic setup |
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Ranchi,
Nov 26 (PTI) Jharkhand assembly Speaker
C P
Singh today pitched for journalists, who
work under difficult
situations, should get proper security
and state-initiated schemes reach them
so that they don‘t have to worry about
the family’s future while discharging
professional duties. Addressing the
inaugural two-day session of the
National Union of Journalists (India)
national council meeting here, Singh
said mediapersons sometimes work at
places facing life threats like the
situation in Kargil war.
The media thus deserved security and
financial schemes which should be
supported by the respective state
governments "State governments
should take care of these things," Singh
said, adding if financial benefits were
given the future of journalists’ family
and their children’s education could be
secure. Underscoring the need to
maintain the media‘s image of being
watchdog of the society, Singh said the
fourth pillar of a democratic system
ought to strike a balance between
‘positive’ and ‘negative’ reports.
Mincing no words on "TRP-driven coverage
by the electronic media," Singh said
"they say journalists show mirror
to others, but few in media watch it
themselves."
The Speaker also condemned the assault
on Union Agriculture Minister Sharad
Pawar on Thursday and asserted violence
has no place in a democratic setup."Why
news channels show the footage
throughout the day which appear as if
the assaulter attempts a series of
slaps," Singh said. |
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पत्रकारों की
सुरक्षा राज्य सरकारें करेः स्पीकर
झारखण्ड |
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National Union of
Journalists (India) NUJI, Mr C.P.Singh
speaker Jharkhand Assembly, Ranchi |
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Publised
on : 26 November 2011
Time 22:21 |
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Ranchi
रांची
.26 नवंबर. वार्ता. झारखंड विधानसभा
अध्यक्ष सीपी सिंह ने राज्य सरकारों से
आग्रह किया है कि वह पत्रकारों की सुरक्षा
सुनििश्चत करे और अप्रिय घटना होने पर उनके
परिवारों की जिम्मेदारी वहन करें ।नेशनल
यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स की दो दिवसीय
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आज यहां
उद्घाटन करते हुए श्री सिंह ने
उपरोक्त अपील की । उन्होंने कहा कि
पत्रकारिता अब मिशन नहीं
उत्पाद बन गया है। समाचार पत्र भी लाभ
कमाने के लिए निकाले जा
रहे हैं । पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल
कर काम करते हैं इसलिए
राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि
वे उनकी सुरक्षा सुनििश्चत
करें और पत्रकार की मृत्यु उपरांत उसके
परिवार के पालन शिक्षा और स्वास्थ्य की
जिम्मेदारी वहन करें । उन्होंने कहा कि
मीडिया . विधायिका . कार्यपालिका व
न्यायपालिका को दर्पण दिखाती है . पर उसे
स्वयं भी आईना देखना
चाहिए और समाज में शुचिता लाने के लिए
केवल नकारात्म ही नहीं
सकारात्म पहलू को भी दिखाना चाहिए ।
हिंदी दैनिक प्रभात ख़बर के संस्थापक
संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार
शिव नारायण विनोद ने अपने संबोधन में
मीडिया की गिरती
विश्वसनीयता को बडी चुनौती बताया ।
उन्होंने कहा कि यह सच है
कि देश में लोकतंत्र की रक्षा मीडिया ही
कर रहा है .पर उसे अपनी
विश्वसनीयता को बनाए रखना है । उन्होंने
कहाकि न्यायपालिका .
विधायिक और कार्यपालिका को सही दिशा मीडिया
ही दिखा रहा है ।
अगर मीडिया अपनी जिम्मेदारी भली भांति नहीं
निभाता तो देश में बडे
बडे घोटाले जनता के सामने नहीं आते ।
श्री विनोद ने पेड न्यूज को पत्रकारिता के
लिए कलंक बताते हुए
कहा कि अब तो इसके भी आगे बढकर पैकेज डील
होने लगी है जो
स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए शुभ सकेत नहीं
है । उन्होंने पत्रकारों से
अपील की है कि ए नैतिक मूल्यों से कोई
समझौता न करते हुए
निर्भीक पत्रकारिता करें ।
.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
नितिन गडकरी ने
सम्मेलन को भेजे अपने शुभकामना संदेश में
कहा कि उनकी पाटीo
पत्रकारों के हितों और मीडिया से जुडे सभी
महत्वपूर्ण मुद्दो पर हर
परिस्थिति में उनके साथ है।
एन.यू.जे. इंडिया. के अध्यक्ष प्रज्ञा नंद
चौधरी में मजीठिया वेतन
आयोग की सिफारिशों पर केंद्र सरकार द्वारा
जारी अधिसूचना का जिक्र
करते हुए कहा कि हम सबके समक्ष सबसे बडी
चुनौती वेतन बोर्ड की
अनुशंसाओं को सभी समाचार पत्रों और
इलेक्ट्रानिक मीडिया में लागू
कराना है ताकि पत्रकारों को उनके अनुरूप
वेतन और सुविधाएं मिल
सकें। उन्होंने वेतन बोर्ड की सिफारिशों
का आधार एनयूजे के लंबे
संघर्ष को बताया। उन्होंने पेड न्यूज जैसी
गलत परंपराओं का डटकर
विरोध करने और अख़बारों की बाजारवाद से बचने
की सलाह दी।
संगठन के महासचिव रास विहारी ने अपने
संबोधन में एनयूजे के
उद्देश्यों और कार्यो पर चर्चा करने के
साथ पत्रकारों की सुरक्षा के लिए
सुरक्षा कानून बनाने पर जोर दिया। उन्होंने
कहा कि उनका संगठन
हमेशा ही साफ़ सुथरी पत्रकारिता के पक्ष
में रहा है और पिछले चालीस
वषोo में उसके किसी भी सदस्य पर
भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है।
हिंदुस्तान के स्थानीय समाचार संपादक
मनोरंजन सिंह ने
पत्रकारिता और बाजारवाद की चर्चा की।
उन्होंने कहा कि आज
अख़बार इसलिए चलते हैं. क्योंकि उन्हें
बाजार से तालमेल बनाकर
चलना होता है।
समारोह में विधानसभा अध्यक्ष ने संगठन की
पत्रिका इंकवल्र्ड का
विमोचन किया। इस अवसर पर उन्हें और श्री
विनोद सहित संगठन के
वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया।
जेयूजे के अध्यक्ष रजत गुप्ता ने वेतन
बोर्ड .पत्रकारों की आर्थिक
स्थिति. सरकारी विज्ञापन के मुद्दों पर
विचार व्यक्त किए।
मंच संचालन दैनिक हिंदुस्तान के वरिष्ट
पत्रकार नंदकिशोर
मुरलीधर ने किया। |
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भंवरी की सेक्स सीडी दिखाने पर दो चैनलों
को नोटिस
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Tags:
Notice issued to chanals on sex cd show
of Bhanwari's personal relation with
minister |
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Publised
on : 12 November 2011
Time 23:42 |
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New Delhi,
12 November 2011. Courtesy
by Bhadas 4 Media.सूचना एवं प्रसारण
मंत्रालय ने कड़ा कदम उठाते हुए दो न्यूज
चैनलों को नोटिस भेजा है. भंवरी देवी और
अन्य नेताओं के बीच के अंतरंग संबंध की
सीडी Internal Relation
and sec cd को दिखाने जाने पर यह कार्यवाही की
गई है. पी7न्यूज और सहारा समय को नोटिस
भेजे जाने की खबर है. फिलहाल इन्हें नोटिस
मेल के जरिए मंत्रालय के अधिकारियों ने
भेज दिया है. ये चैनल नोटिस की हार्डकापी
का इंतजार कर रहे हैं. न्यूज चैनलों के
कर्ताधर्ताओं या संपादकों को मंत्रालय के
सम्मुख उपस्थित होकर नोटिस का जवाब देना
होगा.
मंत्रालय की तरफ से भेजे गए नोटिस में
आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने पर आपत्ति की गई
है और आगे से इस तरह की सीडी न दिखाने को
कहा गया है. इस तरह का कंटेंट दिखाने
ब्राडकास्ट कोड के क्लाज 6 के तहत
प्रतिबंधित है. दोनों चैनलों के
प्रतिनिधियों को कहा गया है कि वे अपनी
सफाई 14 नवंबर को शाम चार बजे तक दे
दें.उधर, जानकारों का कहना है कि भंवरी की
सीडी कई अन्य न्यूज चैनलों ने भी प्रसारित
की तो सिर्फ दो न्यूज चैनलों को नोटिस देना
का क्या मतलब. ईटीवी ने भंवरी की सीडी को
जमकर दिखाया. कई अन्य चैनलों ने भी इसका
प्रसारण किया. हालांकि सीडी प्रसारित करने
वाले चैनलों के लोगों का कहना है कि सीडी
को ब्लर-धुंधला करके दिखाया गया लेकिन
पूछने वाले पूछ बैठते हैं कि आखिर इस तरह
के कंटेंट को किशोर व बच्चे देखेंगे तो
क्या सोचेंगे और उनकी उत्सुकता को कैसे
शांत किया जा सकता है.दूसरे, सीडी को भले
ब्लर करके चलाया गया लेकिन उसमें जो एक्शन
हैं, उसे हर कोई समझ-बूझ सकता है. तो इस
तरह की पोर्नोग्राफी को दिखाने से चैनलों
को भले टीआरपी हासिल हो जाए लेकिन इससे आम
जनता में गलत मैसेज जाता है और खासकर युवा
पीढ़ी व बच्चों-किशोरों के मन पर खराब असर
पड़ता है. |
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अमर उजाला संवाददाता
दिनेश गुप्ता का निधन |
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Publised
on : 07 November 2011
Time 23:32 |
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Lakhimpur, 07 November 2011. लखीमपुर, 07
नवम्बर।
अमर उजाला में उप संपादक एवं
लखीमपुर कार्यालय के ब्यूरो प्रभारी दिनेश
गुप्ता का शनिवार देर रात लखनऊ के मेडिकल
कालेज में उपचार के दौरान निधन हो गया। 42
वर्षीय दिनेश गुप्ता के निधन पर तमाम
पत्रकारों, समाज सेवियों, राजनीतिक दलों
के नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
उनकी अंत्येष्टि यहां सेठघाट पर की गई।
मुखाग्नि उनके दस वर्षीय पुत्र प्रखर
गुप्ता तथा उनके बड़े भाई महेश गुप्ता ने
दी। वह अपने पीछे बूढ़ी मां के अलावा पत्नी
रोमा गुप्ता, पुत्र प्रखर गुप्ता व पुत्री
साक्षी गुप्ता उर्फ जूही (12) को छोड़ गए
हैं।
करीब एक साल पहले उन्हें बोन टीबी हो
गई थी। 25 अक्तूबर को रात में अचानक हालत
खराब हो गई। उन्हें उसी रात जिला अस्पताल
में भर्ती कराया बाद में एक नवंबर को
पीजीआई लखनऊ लाया गया, फिर मेडिकल कालेज
ले जाए गए। वहां शुरू हुए इलाज के साथ ही
शनिवार रात करीब 11 बजे चिकित्सकों ने
आपरेशन की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन तभी
12.25 बजे उनकी सांसें थम गईं।रविवार सुबह
उनका पार्थिव शरीर शहर के मुहल्ला राजगढ़
स्थित उनके आवास लाया गया। शहर के सेठघाट
पर करीब डेढ़ बजे उनका अंतिम संस्कार कर
दिया गया। अमर उजाला कार्यालय के समस्त
स्टाफ एवं क्षेत्रीय संवाददाताओं के अलावा
विभिन्न समाचार पत्रों व इलेक्ट्रानिक
चैनल्स के पत्रकारों के साथ सांसद ज़फर अली
नकवी, पूर्व मंत्री रामकुमार वर्मा, सपा
विधायक डा. आरए उस्मानी, विधायक कृष्ण
गोपाल पटेल, सदर विधायक उत्कर्ष वर्मा,
धीरेंद्र बहादुर सिंह, जिला पंचायत सदस्य
राजीव गुप्ता, विनोद मिश्रा, प्रेम शंकर
अग्रवाल, डा. इरा श्रीवास्तव, नीरज बरतरिया,
राजीव त्रिवेदी, सतीश श्रीवास्तव, अन्नू
मिश्रा, केवल कृष्ण, सीतापुर अमर उजाला
कार्यालय के ब्यूरो प्रभारी आशू बाजपेई,
यातायात प्रभारी राजेश चौधरी, सहायक
यातायात प्रभारी राममनोहर सिंह सहित तमाम
गणमान्य लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल
हुए। साभार : अमर उजाला |
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प्रेस काउन्सिल या लोकपाल के दायरे में
आये इलेक्ट्रानिक मीडियाः जस्टिस काटजू
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Publised
on : 07 November 2011
Time 22:52 |
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New
Delhi, 07 November 2011, नई दिल्ली।
समाचार प्रसारण उद्योग के आत्म नियमन को
अधिक तवज्जो नहीं देने वाले भारतीय प्रेस
परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्केडेय
काटजू ने सोमवार को कहा कि यदि टीवी चैनल
प्रेस परिषद के तहत नहीं आना चाहते तो
उन्हें लोकपाल जैसी अन्य संस्था चुननी
पड़ेगी। काटजू ने कहा कि आत्म नियमन कोई
नियमन नहीं होता। उन्होंने कहा कि समाचार
संगठन निजी संगठन होते हैं जिनकी गतिविधियों
का जनता पर व्यापक असर पड़ता है और उन्हें
भी जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक चैनल यह कैसे
कह सकते हैं कि वे किसी के प्रति नहीं
सिर्फ अपने प्रति जवाबदेह हैं। इससे पूर्व
रविवार को काटजू ने न्यूज ब्राडकास्टिंग
एसोसिएशन के सचिव एन के सिंह को पत्र
लिखकर उनसे पूछा था कि क्या समाचार
प्रसारणकर्ता लोकपाल के तहत आने के इच्छुक
हैं। काटजू ने लिखा कि मैं जानना चाहता
हूं कि क्या न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन,
जिसके संभवत: आप सचिव हैं, लोकपाल के तहत
आना चाहते हैं। लोकपाल का गठन संसद के
शीतकालीन सत्र में किया जाना प्रस्तावित
है। आप भारतीय प्रेस परिषद के तहत आने के
अनिच्छुक जान पड़ते हैं। क्या आप लोकपाल के
तहत आने के लिए भी अनिच्छुक हैं। उन्होंने
कहा कि आप आत्म नियमन के अधिकार का दावा
करते हैं। क्या मैं आपको याद दिला सकता
हूं कि सुप्रीम कोर्ट एवं सभी हाईकोर्ट के
न्यायाधीशों तक के पास पूर्ण अधिकार नहीं
होते। कदाचार के लिए उनका भी महाभियोग किया
जा सकता है। वास्तव में महाभियोग के कारण
हाईकोर्ट के एक मुख्य न्यायाधीश और एक
न्यायाधीश ने हाल में इस्तीफा दिया था।
काटजू ने कहा कि वकील बार कांउसिल के तहत
आते हैं और पेशेवर कदाचार के कारण उनका
लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इसी तरह,
डाक्टर मेडिकल कांउसिल, चार्टर्ड
एकाउंटेंड अपनी काउंसिल के तहत आते हैं।
तो फिर आपको लोकपाल या किसी ऐसे अन्य
नियामक प्राधिकरण के तहत आने से आपत्ति
क्यों होनी चाहिए। काटजू ने अपने पत्र में
कहा कि हाल के अन्ना हजारे आंदोलन को
मीडिया में व्यापक प्रचार दिया गया। अन्ना
की मांग क्या है। यही कि नेताओं, नौकरशाहों,
न्यायाधीशों आदि को जनलोकपाल विधेयक के
तहत लाया जाए। आप किसी तर्क के साथ लोकपाल
के दायरे से बाहर रखे जाने के दावा कर रहे
हैं। उन्होंने कहा कि आपने आत्म नियमन का
दावा किया है। इसी तर्क के अनुसार नेता,
नौकरशाह आदि भी आत्म नियमन का दावा करेंगे।
अथवा क्या आप इतने दूध के धुले हैं कि आपके
अलावा आपका कोई और नियमन नहीं कर सकता।
अगर ऐसा है तो पेड न्यूज, राडिया टेप आदि
क्या हैं।
साभार जागरण डाट काम
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भारतीय मीडिया
तानाशाह हैः काटजू |
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Publised
on : 06 November 2011
Time 20:44 |
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New
Delhi , 07 November 2011, नई
दिल्ली, 07 नवम्बर |
मीडिया पर देश को सांप्रदायिक आधार पर
बांटने का आरोप लगा चुके भारतीय प्रेस
परिषद के अध्यक्ष मार्कडेय काटजू ने इस
बार भारतीय मीडिया को आईना देखने की सलाह
दी है। काटजू के पूर्व के बयानों पर
पत्रकारों के संगठन द्वारा आपत्ति दर्ज
कराने के बाद भारतीय प्रेस परिषद के
अध्यक्ष ने इस बार कहा है कि मीडिया अपने
अंदर भी झांक कर देखे। खास बात यह है कि
उनके ताजा बयान को इंटरनेट पर काफी समर्थन
मिल रहा है।
एक ऑनलाइन टिप्पणी में कहा
गया है कि मीडिया का बर्ताव जर्मनी के
तानाशाह हिटलर की तरह है। वह बिना किसी
पुख्ता जानकारी के कुछ भी प्रकाशित कर देता
है। गौरतलब है कि एक महीने पहले प्रेस
परिषद के प्रमुख का पद संभालने वाले काटजू
ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा था कि मीडिया
के लोगों के बारे में मेरी राय अच्छी नहीं
है। मीडिया देश को सांप्रदायिक आधार पर
बांटने का काम करता है। मुझे नहीं लगता कि
उन्हें आर्थिक नीतियों, राजनीतिक सिद्धांतों,
साहित्य और दर्शनशास्त्र की जानकारी होती
है।
काटजू के बयान के समर्थन में पूर्व
पत्रकार व मीडिया विश्लेषक वीके वरदराजन
ने कहा कि काटजू ने सही परिप्रेक्ष्य में
अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। मीडिया लोगों
तक सूचनाएं पहुंचाने व समाज की बुराइयों
से परिचित कराने की अपनी प्रतिबद्धता से
विमुख हो चुका है। उसे अपना आत्म
मूल्यांकन करना चाहिए। दूसरी ओर द एडिटर्स
गिल्ड ऑफ इंडिया की महासचिव कूमी कपूर के
मुताबिक, काटजू उन लोगों के लिए बहुत ही
अपमानजनक रवैया अपना रहे हैं, जिनके साथ
उन्हें अगले तीन वर्षों तक काम करना है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस काटजू
द्वारा पत्रकारों पर की गई नकारात्मक
टिप्पणियों से एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया,
ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए),
न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन एंड प्रेस
एसोसिएशन में काफी रोष है। साभार : जागरण |
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हेमंत तिवारी
आईएफडब्लूजे के राष्ट्रीय सचिव बने
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Publised
on : 06 November 2011
Time 20:44 |
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Gorakhpur ,
O6 November 2011, U.P.Samachar Sewa.
गोरखपुर ,6 नवम्बर |
(उप्रससे)।
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार
हेमंत तिवारी को इण्डियन फेडरेशन आफ
वर्किंग जर्नलिस्ट्स (आईएफडब्लूजे) का
राष्ट्रीय सचिव नामित किया गया है। श्री
तिवारी इसके पहले राष्ट्रीय कार्यसमिति
में सदस्य थे। उनका मनोनयन आज यहां
फेडरेशन की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति
के पहले दिन किया गया। श्री तिवारी को
कार्यसमिति में नामित करने की घोषणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष के.विक्रम राव ने की।
आईएफडब्लूजे की राष्ट्रीय कार्यसमिति का
आज शुभारम्भ हुआ। इसमें देश भर के प्रमुख
पत्रकार भाग ले रहे हैं। कार्यसमिति में
रिक्त राष्ट्रीय सचिव के पद पर मनोनयन के
लिए सर्वसम्मति से हेमंत तिवारी के नाम का
प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। श्री तिवारी
दैनिक जागरण, स्वतंत्र भारत, राष्ट्रीय
सहारा, डीएलए से जुड़े रहे हैं। उन्होंने
अपने 27 साल के मीडिया कैरियर में
इलेक्ट्रानिक मीडिया से जड़कर भी पत्रकारिता
की है। वे जनसंदेश चैनल के नेशनल न्यूज
एडवाइजर भी रहे। इसके पहले उन्होंने डीडी
न्यूज के लिए भी काम किया। वर्तमान समय
में वे स्वतंत्र पत्रकार हैं। श्री तिवारी
राय मुख्यालय मान्यता प्राप्त संवाददाता
समिति के सचिव भी रहे हैं। उन्होंने
इलाहाबाद, आगरा, लखनऊ और दिल्ली में
विभिन्न समाचार पत्रों से जुड़कर पत्रकारिता
की है।
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उपजा के नाम पर
कराया गया फर्जी पंजीकरण निरस्त
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Publised
on : 02 November 2011
Time 20:00 |
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Lucknow,
O2 November 2011, U.P.Samachr Sewa.
लखनऊ, 02 नवम्बर। (उप्रससे)।
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के नाम
पर छद्म तरीके से कराये गए पंजीकरण को
डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसाइटीज एवं
चिट्स ने निरस्त कर दिया है। प्रमाण पत्र
निरस्तीकरण की कार्रवाई संस्था द्वारा
दर्ज करायी गई आपत्ति पर संज्ञान लेते हुए
की गई है। उपजा के अध्यक्ष रतन कुमार
दीक्षित ने चेतावनी दी है कि अब इस नाम का
उपयोग यदि अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा किया
जाएगा, तो उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई
की जाएगी।
अध्यक्ष श्री दीक्षित ने बताया कि
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ट्रेड
यूनियन एक्ट 1926 में पंजीकृत यूनियन है।
इसकी पंजीकरण संख्या 2946 है। संस्था का
पंजीकरण 16 मार्च 1966 को कानपुर स्थित
रजिस्ट्रार ट्रेड यूनियन्स कार्यालय से
हुआ है। उपजा वर्ष 1972 से नेशनल यूनियन
आफ जर्नलिस्ट्स (इण्डिया) एनयूजे आई से
सम्बध्द है। उपजा के नाम का दुरुपयोग करते
हुए कुछ लोगों ने वर्ष 2007 में सोसाइटीज
रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 में पंजीकरण करा
लिया था। इसके विरुध्द उपजा ने डिप्टी
रजिस्ट्रार सोसाइटीज के कार्यालय में
आपत्ति दर्ज की थी। उपजा ने डिप्टी
रजिस्ट्रार को अवगत कराया था कि एक संस्था
के रहते उसके नाम पर किसी भी एक्ट में नया
पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है।
डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसाइटीज एवं
चिट्स लखनऊ ने आपत्ति पर संज्ञान लेते हुए
19 जुलाई 2011 को यू.पी.जर्नलिस्ट्स
एसोसिएशन के नाम पर कराये गए पंजीकरण
प्रमाण पत्र संख्या 2746 को निरस्त कर दिया।
श्री दीक्षित ने बताया कि उक्त पंजीकरण
निरस्त होने की सूचना सम्बन्धित विभागों,
जिला स्तर के अधिकारियों को भेज दी गई है।
उन्होंने बताया कि उ.प्र.जर्नलिस्ट्स
एसोसिएशन (उपजा) नाम का केवल एक संगठन है,
जोकि ट्रेड यूनियन में रजिस्टर्ड है। उपजा
का पंजीकृत कार्यालय 31-बी, दारुलशफा,
विधायक निवास-2, लखनऊ है।
उपजा के अध्यक्ष रतन कुमार दीक्षित ने उन
लोगों को चेतावनी दी है कि उपजा के नाम का
दुरुपयोग करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि
अब उपजा के नाम पर अनधिकृत व्यक्तियों
द्वारा कार्यक्रम, सदस्यता, चंदा प्राप्त
करने, किसी राजकीय विभाग से सहयोग प्राप्त
करने, लैटर हैड छपवाने पर कानूनी कार्रवाई
की जाएगी।
सर्वेश कुमार सिंह
प्रदेश महामंत्री
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन
मो.9453272129 |
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पेड न्यूज से घट रही
है पत्रकारिता की विश्वसनीयता: पी.के.राय
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Publised
on : 2011:10:30
Time 21:20 |
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सुल्तानपुर
में उपजा की बैठक
सुलतानपुर 30 अक्टूबर। (उप्रससे)। पेड
न्यूज पत्रकारिता के अस्तित्व के लिए खतरा
बन गई है। इससे पाठकों में भ्रम पैदा होता
है। इससे पत्रकारिता खत्म हो रही है। पेड
न्यूज का प्रचलन बढ़ने से पत्रकारिता की
विश्वसनीयता घट रही है। इसे रोका जाना
चाहिए। उक्त विचार नेशनल यूनियन आफ
जर्नलिस्ट्स (इण्डिया) के पूर्व राष्ट्रीय
अध्यक्ष पी.के.राय ने आज यहां
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) की की
जिला इकाई की बैठक में व्यक्त किये। इस
अवसर पर उपजा के प्रदेश अध्यक्ष रतन कुमार
दीक्षित और महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह
भी मौजूद थे।
बैठक में श्री राय ने कहा कि इलेक्ट्रानिक
मीडिया से जुड़े प्रकरणों पर विचार के लिए
मीडिया काउंसिल बनायी जानी चाहिए। क्योंकि
प्रेस काउसिंल आफ इण्डिया के कार्यक्षेत्र
में इलेक्ट्रानिक मीडिया नहीं आता है।
उन्होने बताया कि मीडिया काउसिंल बनाने की
मांग एनयूजे आई के द्वारा काफी लंबे समय
से की जारही है। श्री राय ने बताया कि देश
में पत्रकारों के लिए जो वेतन आयोग बने
हैं उनके गठन में एनयूजे का विशेष योगदान
है। एनयूजे ने ही इसके लिए संघर्ष किया है
तथा पत्रकारों और अन्य प्रेस कर्मचारियों
को वेतन आदि में सुधार के लिए अथक प्रयास
किया है। पत्रकारों के प्रशिक्षण के लिए
मण्डलीय प्रशिक्षण लगाने की आवश्यकता पर
बल देते हुए श्री राय ने बताया कि उपजा
शीघ्र ही इस दिशा में कार्य करेगी।
नगर मुख्यालय पर उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट
एसोसिएशन की बैठक की गई। जिसमें कार्यक्रम
के मुख्य अतिथि पी0के0 राय व विशिष्ठ अतिथि
रतन दीक्षित व प्रदेश महामंत्री सर्वेश
कुमार सिंह का भव्य स्वागत किया गया।
उपजा के प्रदेश अध्यक्ष रतन दीक्षित ने कहा
कि आज जनपदीय पत्रकारों के सामने सबसे
ज्यादा चुनौतियां हैं। जिसकी हालत सबसे
चिंता जनक है। ऐसे में हम सभी पत्रकारों
को इस बैनर तले मिल बैठकर काम करना चाहिए,
जिससे हमारी व्यक्तिगत समस्याओं का भी
समाधान आसानी से हो सके। श्री दीक्षित ने
कहा कि उपजा पत्रकारों का अग्रणी संगठन
है। इसने पत्रकारों की लड़ाई सबसे यादा लड़ी
है। आगे भी हम पत्रकारों के लिए संघर्ष
जारी रखेंगे।
प्रदेश महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह ने
पत्रकारों से सीधे संवाद स्थापित करते हुए
बताया कि मान्यता समिति भंग है किन्तु जिन
पत्रकारों की जिले स्तर से जांच होकर
मान्यता फाइल मुख्यालय भेजी जा रही है।
उनकी मान्यता निदेशक सूचना अपने अधिकारों
के तहत स्वीकृत कर रहे हैं। उन्होंने यह
भी बताया कि तहसील स्तरीय पत्रकारों के
साथ भी यही है यदि उनकी फाइल निदेशालय तक
जा रही है तो उनकी मान्यता हो रही है।
स्थानीय लोगों की समस्याओं पर किये गये
सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि
अन्य जनपदों की तरह यहां का प्रेस क्लब भी
आपसी सहयोग के साथ संगठनों को अपने हाथों
में लेना चाहिए। जिससे उसका अस्तित्व
बरकरार रहे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि
सुलतानपुर में सूचना अधिकारी के रिक्त पद
पर नियुक्ति के लिए निदेषक सूचना से वार्ता
करेंगे। उन्होंने बताया कि उपजा में
ग्रामीण पत्रकारों को जोड़ने का भी निर्णय
लिया गया है। उन्हें सदस्य बनाने के
निर्देश दे दिये गए हैं। अत: सभी तहसीलों
मे संयोजक नियुक्त करके तहसील और ब्लाक
स्तरीय पत्रकारों को सदस्य बनाया जाए।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार शिव प्रकाश,
वृजेन्द्र विक्रम सिंह, विजय विद्रोही,
विवेक बरनवाल, अनिल द्विवेदी, दर्शन साहू,
जितेन्द्र श्रीवास्तव, सतीश तिवारी आदि ने
अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की
अध्यक्षता जिलाध्यक्ष अरूण जायसवाल तथा
संचालन महामंत्री सत्य प्रकाश गुप्ता ने
किया। कार्यक्रम में राजेश सिंह, अशोक
जायसवाल, संतोश यादव, अशोक मिश्र, सर्वेश
श्रीवास्तव, पंकज गुप्ता, इस्मत जहरा
यतीन्द्र शाही, विष्णु, गौरव सिंह, अभिशेक
सिंह, करूणाशंकर तिवारी, अखिलेश बरनवाल,
मनोज शर्मा, अतुल कुमार दीपक, राम दुलार
मौर्य, सुनील कुमार वर्मा, सभापति वर्मा,
राम सुन्दर यादव, कन्हैया लाल यादव, अमित
जायसवाल, सुरेश मौर्य आदि मौजूद रहे।
सुल्तानपुर में होगी
उपजा की प्रांतीय बैठक
बैठक में उपजा की जिला इकाई ने प्रांतीय
कार्यकारिणी की बैठक आहूत करने का निर्णय
लिया। बैठक आगामी जनवरी माह में आयोजित की
जाएगी। बैठक आयोजित करने का आश्वासन जिला
अध्यक्ष अरुण जायसवाल और अन्य सभी सदस्यों
ने प्रदेश पदाधिकारियों को दिया। इसके साथ
ही जिला इकाई के सदस्यों की संख्या शीघ्र
ही एक सौ करने का भी आश्वासन दिया गया।
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Media should “become the voice of a
billion” |
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Article Published ON 2011:10:26 |
|
The
Indian media needs to do some soul
searching, and one question that it
needs to ask itself is: Whose voice is
it? Is it the voice of the whole of
India? Or does it represent the
300-million strong urban middle class
alone?
This is a question that has been
worrying media observers for long. Mani
Shankar Aiyer, when he was shifted from
Petroleum Ministry to Panchayati Raj
during the UPA I regime, had this to
say: “There is nobody so marginal in a
government as the Minister of Panchayati
Raj. I count for nothing. Nothing. When
I was the Minister of Petroleum, I used
to walk surrounded by the media.”Obviously, Panchayati Raj was not
media’s darling. That is why its
minister was sidelined by the media.
This was not so when Aiyer was the
Petroleum Minister. The media waited for
every byte it could get on the subject.You can definitely argue that every
decision of Petroleum Ministry has a
multiplier effect on the economy, and on
the budgets of every Indian. It
therefore needs more attention, and
coverage.
But does this mean that the India that
lives outside the cities be ignored?
One Indian who wants this aberration
corrected is former President APJ Abdul
Kalam. Speaking at the Bangalore Press
Club last week, the former President
stressed that the media should “become
the voice of a billion” and not just
seek to represent the 300 million-strong
urban population.
The former President was right to insist
that “The first loyalty of a journalist
must be to the people of the nation.”
But is this happening? The news channels
openly acknowledge that they are driven
by TRPs (television rating points). The
higher the rating of a programme the
more money an advertiser invests. And
TRPs can be high only if the programme
appeals to the audience. And who is the
audience? It is the city dweller.This has been the story of Indian media
in the post-liberalisation and the
post-news channels era. The priorities
have changed. The media is more obsessed
with business, lifestyle and
entertainment stories than with
development stories. Bollywood gossip
and trivia has become an important part
of news telecasts.
There is great focus on glitz and
glamour.
You find considerable air time and
newspaper space devoted to launches of
luxury cars like BMW and Mercedes,
catwalking, fashion shows, five star
food, travel and exotic destinations.
Even reality shows held in sanitised
air-conditioned studios get more
coverage than real life stories from
small towns and villages.
You wonder if this is the face of
today’s India or the India that
historians will chronicle 50 years from
now. After all, media is said to be the
mirror image of the society.
This is not to dispute that the media
does not have its financial priorities.
Today, news gathering is an expensive
industry. You need to have deep pockets
to launch and sustain news channels. The
bottomline is money.
The media can’t survive unless it earns
enough advertising rupees, and this can
only happen if the advertiser gets
sufficient returns.The question is: Can’t media come up
with a better balance in its news
coverage? No one is asking the media to
stop covering subjects that are of
interest to an urban audience. What is
needed is the inclusion of the
countryside, where two-thirds of India
lives.
Here it is interesting to quote a study
that was done by the Centre for Study of
Developing Societies (CSDS), a few years
back. The study that collected data from
40 top television channels and
newspapers found that the Indian
newsrooms were dominated by editors
drawn from upper castes.
They held 70% of all important posts
though the upper castes constitute less
than 8% of the country’s population. The
Other Backward Classes (OBCs) formed 4%
of the newsrooms. So was the Muslim
representation. The percentage of Sikhs
and Christians was better.This clearly is lopsided representation.
The newsrooms need to include members of
other castes and communities if they
want to bring about better balance in
their coverage.
More importantly, Indian newsrooms
should hire young men and women coming
from rural or dispossessed backgrounds.
This can help change news budgeting from
the current highly urban-centric
world-view to more inclusive telecasts
that will feature those parts of India
that currently have no voice on our
channels or newspapers.Of course, this can only be a gradual
change. The media can’t afford to lose
viewers or readers by bringing about
radical changes in editorial policies.
But it can surely start taking the first
steps in this direction.
Writen by Sunil Saxena
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आईएनएस
ने पत्रकार वेतन आयोग की सिफारिशों को खतरा
बताया |
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News Published ON 2011:10:25 |
|
नई
दिल्ली, जेएनएन। भारतीय समाचार
पत्र-पत्रिकाओं की प्रतिनिधि संस्था
इंडियन न्यूज पेपर सोसाइटी [आइएनएस] ने
मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पर गहरी
चिंता जाहिर की है। इस बोर्ड ने अखबारों
और समाचार एजेंसियों के पत्रकार व
गैर-पत्रकारीय कर्मचारियों के वेतनमानों
में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है।
आइएनएस के प्रेसीडेंट आशीष बग्गा के
मुताबिक प्रस्तावित वृद्धि को सहना फिलहाल
मीडिया उद्योग के बस के बाहर है। इससे देश
भर में ज्यादातर छोटे और मध्यम आकार के
समाचार पत्र बंद हो जाएंगे।
बग्गा ने आगाह किया कि यहां तक कि बड़े
प्रकाशनों को भी प्रस्तावित वृद्धि को लागू
करने में भारी दिक्कत पेश आएगी। उन्होंने
खेद जताया कि सरकार ने आइएनएस के उस आग्रह
को भी तवज्जो नहीं दी, जिसमें वेतनबोर्ड
की इस त्रुटिपूर्ण और एक पक्षीय रिपोर्ट
पर पुनर्विचार करने को कहा गया था।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ
पर खतरा मंडरा रहा है। मीडिया की पहचान अब
तक स्वामित्व में बहुलता के कारण रही है।
सरकार के फैसले से मीडिया की ताकत कुछ
गिने-चुने हाथों में चली जाएगी। छंटनी और
बेरोजगारी का दौर शुरू हो जाएगा। यह
निश्चित ही ऐसे देश के लिए ठीक नहीं होगा,
जहां नौकरियों के अवसर पहले से ही बेहद कम
हैं।
मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों के साथ
वर्किंग जर्नलिस्ट एंड अदर न्यूज पेपर
एंप्लॉइज एंड मिसलेनियस प्रोविजंस एक्ट,
1955 को चुनौती देने वाली तमाम याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं।
सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के आलोक में
ही सरकार को कोई निर्णय करना चाहिए।
मंत्रिमंडल ने मंगलवार को वेतनबोर्ड की
सिफारिशों को मंजूरी दी।
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पत्रकार वेतन आयोग की सिफारिशें मंजूर |
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Publised
on : 2011:10:26
Time 09:36 |
|
नई
दिल्ली, 25 अक्टूबर, 2011। ( प्रेस
इन्फार्मेशन ब्यूरो )
केंद्रीय
मंत्रिमंडल ने वेतन बोर्ड की अंतिम
सिफारिशों को, कार्यरत पत्रकार तथा अन्य
समाचार पत्र के कर्मचारियों (सेवा की शर्तें)
तथा विविध प्रावधान अधिनियम, 1955 की धारा
12 (1) के तहत किए गए कुछ सुधारों और
संशोधनों के साथ आज मंज़ूरी दे दी। सरकार
ने इससे पहले मई 2007 में दो वेतन बोर्ड
का गठन किया था।
वेतन बोर्ड के अध्यक्ष न्यायमूर्ति
जी.आर. मजीठिया ने सरकार को अंतिम रिपोर्ट
31 दिसंबर, 2010 को सौंपी थी। समाचार-पत्र
प्रतिष्ठानों तथा समाचार एजेंसियों द्वारा
कार्यान्वयन के लिए अंतिम रिपोर्ट के अध्याय
19 तथा 20 में सम्मिलित सिफारिशें भारत के
राजपत्र में प्रकाशित की जाएंगी। वेतन की
संशोधित दरें 1 जुलाई, 2010 से प्रभावी
होंगी तथा परिवहन भत्ता, मकान किराया भत्ता
जैसे अन्य भत्ते राजपत्र में अधिसूचना
की तिथि से प्रभावी होंगे। इस निर्णय से
40,000 से अधिक समाचार-पत्रों के कर्मचारी
लाभान्वित होंगे। |
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Government Approves
The Recommendations of the Wage
Boards Headed by Justice Majithia |
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New Delhi, OCT 25,
2011 The
Central Government has approved the
proposal of the Ministry of Labour&
Employment to accept the
recommendations of the Wage Boards
headed by Justice Majithia for
revision of wages and allowances of
employees in newspaper
establishments and news agencies
subject to certain corrections. The
decision to this effect has been
taken in the Cabinet meeting held
today.
Accordingly, a press note issued by
the Ministry of Labour & Employment
today it self says that the
Notification to implement the
recommendations of the Wage Boards
will be issued in consultation with
the Ministry of Law & Justice by
making an Order under sub-section
(1) of section 12 for publication in
the Gazette of India as required
under sub-section (3) of section 12
of the Working Journalists and Other
Newspaper Employees (Conditions of
Service) and Miscellaneous
Provisions Act, 1955.
The highlights of the
recommendations are as follows:-
Methodology for Computation of
Revised Wages and Allowances:
-
For purposes of
wage fixation newspaper
establishments have been
classified into eight classes and
news agencies into four classes
based on gross revenue. Jobs have
been classified into six groups
and accordingly six scales have
been suggested in each class of
establishment.
-
The revised pay
scale is based on the old basic
pay plus Dearness Allowance (D.A.)
admissible upto June, 2010 plus 30
per cent of basic pay as interim
relief.
-
The revised rate of
dearness allowance is to be
computed on the basis of the
average all-India Consumer Price
Index Number for Industrial Worker
(2001=100) for the preceding
twelve months
compiled by Labour Bureau and will
become operative with effect from
01-07-2010.
Main Recommendations of Majithia
Wage Boards:
-
The revised pay
comprises of variable pay at the
rate of 35 percent for employees
working in the first four classes
of newspaper establishments (first
two classes of news agencies) and
20 percent for the bottom four
classes of newspaper
establishments (bottom two classes
for news agencies).
-
The variable pay
should be added to the revised
basic pay for calculation of all
allowances.
-
The rate of
neutralization of DA should be 100
percent of basic pay for
calculation of all allowances.
-
The House rent
allowance should be at the rate of
30%, 20% and 10% and accordingly
areas/cities should be classified
into three categories i.e. X,Y and
Z for this purpose.
-
The transport
allowance should be 20% , 10% and
5% in the respective areas defined
as X, Y and Z.
-
Night shift
allowance should range between
Rs.100 and Rs.50 for different
classes or establishments.
-
The Awards as well
as operational DA will be
effective from 1st July, 2010.
-
Except as otherwise
provided in the Awards to the
contrary, house rent allowance,
transport allowance, hardship
allowance or any other allowance
prescribed in the Awards shall be
effective from the date of
Notification of the Awards.
The details of the recommendations
as contained in Chapters XIX & XX
of the Report of the Wage Boards
are at Annexure I (a) and Annexure
I (b) respectively. The
corrections to the recommendations
as approved by the Union Cabinet
are at Annexure II.
The implementation of the Wage
Boards will be subject to final
outcome of the Writ Petition (C)
No.246 of 2011 in the matter of
ABP Pvt. Ltd. & Anr. versus Union
of India and Ors. presently before
the Hon’ble Supreme Court of
India.
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National Press Day – The 16th of
November |
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Free
and responsible press in India |
|
National
Press Day – The 16th of November –
is symbolic of a free and responsible
press in India. This was the day on
which the Press Council of India started
functioning as a moral watchdog to
ensure that not only did the press
maintain the high standards expected
from this powerful medium but also that
it was not fettered by the influence or
threats of any extraneous factors.
Though there are several Press or Media
Councils world over, the Press Council
of India is a unique entity in
as-much-as this is the only body to
exercise an authority even over the
instruments of the state in its duty to
safeguard the independence of the press.
Recommending the establishment of Press
Council in 1956 the Ist Press Commission
had concluded that the best way of
maintaining professional ethics in
journalism would be to bring into
existence a body with statutory
authority, of people principally
connected with industry whose duty it
would be to arbitrate. To this end the
Press Council of India was established
and the body that was evolved since
November 16, 1966 has not belied the
objective.November 16 therefore
personifies a responsible and free press
in the country. All those who cherish
it, so commemorate the day. The National
Press Day on November 16 every year is
commemorated in befitting manner by the
Council. Since the year 1997 following
Seminars have been organized by the
Press Council on occasion of National
Press Day (November 16).
Two day Seminar on November 16-17, 1997
on a) 50 years of Press in India – A
Critical Review, b) Attacks on the
freedom of the Press and c) Right to
Information; Two day Seminar on November
16-17, 1998 on Role of Media in Crises
Situations (Sub-Topics)– Constitutional
Crises, Political Crises, Economic
Crises, Social Crises, Security Crises
and Threats to the Freedom of the Press
on Internal and External; November
16,1999 “ Media and Society”
(Sub-Topics)-a) Role of Media in
nurturing awareness of fundamental
duties among citizens b) Role of Media
in preserving rich composite heritage
and tradition of the country and in
promoting democracy c) Media’s role in
arousing popular conscience to promote
peace, harmony and brotherhood
transcending barriers of caste, religion
and sectional interests ; November 16,
2000 on “Role of Media : Preparing
People to Cope with Disasters” ;
November 16, 2001 on “Projection of
Women by Media in Present Day Context” &
“Occupational Hazards Faced by
Mediapersons in Conflict Situations:
Relief and Rehabilitation Measures in
Fatal Cases”; Inaugural Function and
Release of Souvenir on “Future of India
: Role of Media” on the eve of National
Press Day on November 15, 2002. |
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Symbol of a free and responsible press |
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Every year
National Press Day in India is
celebrated on 16th of November i.e. a
symbol of a free and responsible press
in India. This was the day on which the
Press Council of India started in 1956
functioning as a moral watchdog to
ensure that not only did the press
maintain the high standards expected
from this powerful medium but also that
it was not restricted by the influence
or threats of any superfluous factors.
In this context, Press is regarded as
the watchdog of Democracy and media is
called as the 4th pillar of India
Democracy.
Published on National Portal of India
www.india.gov.in
It is an important feature of the Indian
Press Council that it
enjoys a statutory status with
compulsive jurisdiction over all the
newspapers published in the country.
Retaining its character, it is
essentially an internal selfregulatory
body. However, what makes our Press
Council unique amongst the similar
mechanisms all over the world is its
jurisdiction over all the
instrumentalities of the State as well
as an entity described as an ‘authority’
in defending and championing the freedom
of the press. |
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रामपुर में एफएम
सुविधा शीघ्रः अपर महानिदेशक |
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Publised
on : 2011:10:21
Time 22:26 |
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रामपुर,21
अक्टूबर । (उप्रससे)।
Rampur, Oct
21, 2011. Uttar Pradesh Samachar Sewa,
Agency for Web News in Uttar Pradesh. जल्द ही रामपुर के लोग भी एफएम का
लुत्फ उठा सकेंगे। इसके लिए स्थानीय स्तर
ही नहीं हाई लेवल पर भी औपचारिकताएं पूरी
कर ली गई हैं। बस ट्रांसमीटर लगना शेष रह
गया है।
आकाशवाणी (मध्य क्षेत्र) के अपर महानिदेशक
गुलाब चंद ने बताया कि रामपुर में एफएम का
काम तेजी से चल रहा है। कागजी कार्रवाई से
लेकर तकनीकी काम भी लगभग पूरा हो चुका है।
कुछेक उपकरण लग रहे हैं, यह काम भी जल्द
ही पूरा हो जाएगा। गोरखपुर में
क्षमतावृद्घि का काम चल रहा है। वहां एक
किलोवाट के ट्रांसमीटर को रीप्लेस किया जा
रहा है। वहां दस किलोवाट का ट्रांसमीटर
लगवाया जा रहा है। एक किलोवाट का
ट्रांसमीटर वहीं से रामपुर आएगा, इसके बाद
यहां भी एफएम शुरू हो जाएगा। उन्हाेंने
बताया कि इसे जिले भर में सुना जा सकेगा।
प्रसारण गुणवत्ता की बात करें तो करीब
पचास किलोमीटर की परिधि में सुस्पष्ट आवाज
आएगी। हालांकि, इससे अधिक दूरी पर भी सुना
जा सकेगा लेकिन, वायस क्वालिटी फिर गिर
सकती है। एफएम शुरू होने के बाद हायर
अथारिटी से दिशा-निर्देशानुसार लोकल न्यूज
भी प्रासारित की जाएंगी। शहर की गतिविधियाें
से भी रूबरू कराने का प्रयास किया जाएगा।
ताकि, अधिकाधिक लोगाें को खुद से जोड़ा जा
सके। चर्चा के दौरान अपर महानिदेशक गुलाब
चंद ने कहा की उत्तर प्रदेश और उत्तरखंड
के किसी भी आकाशवाणी केंद्र पर डायरेक्टर
नहीं है । |
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इलेक्ट्रानिक
मीडिया पर शिकंजे की तैयारी, बीईए ने
विरोध जताया |
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First Publised
on : 2011:10:08
Time 23:41 |
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नई दिल्ली., 08 अक्टूबर। (उप्रससे)।
New Delhi, Oct 08, 2011. U.P.Web News.
केन्द्र सरकार ने टी.वी.चैनलों पर शिकंजा
कसने की तैयारी शुरु कर दी है। सरकार ने
केबिनेट से स्वीकृति के बाद ऐसे नियम जारी
किये हैं जिसमें पांच बार नियमों का
उल्लंघन करने पर समाचार चैनल का लाइसेंस
नवीनीकरण करने से रोक दिया जाएगा। इस फैसले
को टी.वी.चैनलों की एसोसिएशन ब्राडकास्ट
एडीटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने अलोकतांत्रिक
बताया है तथा इस फैसले की तीखी आलोचना की
है। एसोसिएशन के अध्यक्ष शाजी जमां और
महासचिव एन.के.सिंह ने एक विज्ञप्ति जारी
करके कहा कि केन्द्रीय मंत्रिमण्डल का यह
फैसला मीडिया पर नियंत्रण कायम करने की एक
कोशिश है। फैसले में कहा गया है कि जो
चैनल पांच या उससे अधिक बार कार्यक्रम तथा
विज्ञापन संहिता का उल्लंघन करते हुए पाए
जाएंगे,वे लाइसेंसों का नवीनीकरण के लिए
योग्य नहीं होंगे। स्मरण रहे कि चैनलों को
हर दस साल बाद लाइलेंस का नवीनीकरण करना
होता है। बीईए ने कहा है कि सभी
लोकतांतिरक देशों में सरकारों की सामग्री
से संबंधित मुद्दों में कोई भूमिका नहीं
होती है। भारत का संविधान भा सरकार को ऐसी
कोई भूमिका संभालने से स्पष्ट तौर पर रोकता
है। बीईए ने मांग की है कि सरकार इस फैसले
को तुरंत वापस ले। एसोसिएशन ने कहा है कि
सरकार स्वतंत्र इलेक्ट्रानिक मीडिया को
नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि समाचार
सामग्री को क्या नौकरशाहों के विवेक पर
छोड़ा जा सकता है। बीईए के अध्यक्ष शाज़ी
ज़मां और महासचिव एन के. सिंह की ओर से
जारी विज्ञप्ति में दावा किया कि यह कदम
आत्म-नियमन की ओर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
द्वारा उठाए जा रहे ऐतिहासिक कदमों का
महत्व कम करने कोशिश है। लगभग सभी मुख्य
राष्ट्रीय समाचार चैनल बीईए के सदस्य हैं। |
राष्ट्रीय चेतना जागृत करने की जिम्मेदारी हिन्दी
पत्रकारों की: राजनाथ सिंह
उपजा ने एनसीआर में आयोजित किया हिन्दी पत्रकारिता
दिवस समारोह
Update on
2011:06:01 Time 09:13
हापुड
(गाजियाबाद),31मई । (उप्रससे)। देश में
सामजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक चेतना जागृत करने की
जिम्मेदारी हिन्दी पत्रकारिता की है। हिन्दी पत्रकारिता
का देश की आजादी में विशेष योगदान रहा है। हिन्दी
पत्रकारों ने गुलामी से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण
योगदान किया। उक्त विचार पूर्व मुख्यमंत्री और
गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र के सांसद राजनाथ सिंह ने
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) द्वारा आयोजित
हिन्दी पत्रकारिता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि पद से
बोलते हुए व्यक्त किये।
दिल्ली रोड स्थित एस.एस.वी डिग्री कालेज सभागार में
आयोजित कार्यक्रम में विचार व्यक्त करते हुए श्री सिंह
ने आगे कहा कि हिन्दी पत्रकारों को कभी भी हीनभावना से
ग्रस्त नहीं होना चाहिए। क्योंकि हिन्दी और भारतीय
भाषाओं का देश के विकास में बड़ा योगदान है। उनके
दायित्व भी अधिक हैं। हिन्दी पत्रकारिता की जब भी बात
होती है तो विष्णु पराडकर और गणेश शंकर विद्यार्थी का
स्वत: ही स्मरण हो जाता है। इन्होंने हिन्दी पत्रकारिता
को दिशा दी। उन्होंने कहा कि देश से अंग्रेज चले गए
किन्तु अंग्रेजियत छोड़ गए। इसी कारण अंग्रेजी के
पत्रकार हिन्दी पत्रकारों को हीनता की दृष्टि से देखते
हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी के पत्रकार स्वतंत्र रूप
से काम करें। वे किसी भी हालत में अंग्रेजी के पिछलल्गू
न बनें।
हिन्दी पत्रकारिता दिवस समारोह के विशिष्ट अतिथि जनता
दल (यूनाइेटड) के राष्ट्रीय महासचिव के.सी.त्यागी ने
कहा कि हिन्दी पत्रकारिता और हिन्दी साहित्य के उच्च
आदर्श रहे हैं तथा गौरवशाली इतिहास है। हिन्दी
पत्रकारिता ने देश समाज के लिए विशेष योगदान किया है।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की पत्रकारिता गुलामी की
मानसिकता की पत्रकारिता है। जबकि भारतीय भाषाओं की
पत्रकारिता आम आदमी से जुड़ी हुई है। श्री त्यागी ने कहा
कि आज देश में दो तरह की शिक्षा प्रणाली लागू है। एक
वर्ग ऐसा तैयार हो रहा है जोकि अंग्रेजी में पढ़कर
निकलता है। दूसरा वर्ग हिन्दी माध्यम के स्कूलों से
शिक्षा ग्रहण करता है। यह वर्ग केवल प्रजा है। अंग्रेजी
की वालों के सामने केवल खरपतवार की तरह है।
उपजा के प्रदेश महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह ने हिन्दी
पत्रकारिता दिवस के अवसर पर हिन्दी पत्रकारों की दशा
और दिशा पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज हिन्दी
पत्रकारों के दायित्व से अधिक इस बात की जरुरुत है कि
उनकी स्थिति पर चर्चा की जाए। उन्होंने कहा कि हम
हिन्दी पत्रकार अपने दायित्व अच्छी तरह समझते हैं।
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ हम हैं। किन्तु इस चौथे
स्तम्भ की स्थिति क्या है? यह असंगठित क्षेत्र है।
पत्रकारों के लिए आपदा या किसी गंभीर बीमारी की स्थिति
में किसी तरह की सहायता की व्यवस्था नहीं है। पत्रकार
कल्याण कोष पूरी तरह से निष्क्रिय है। पत्रकारों के
लिए पेंशन व्यवस्था नहीं है। इस कारण पत्रकारों के
सामाने हर समय चुनौती रहती है। हाल ही में दो पत्रकारों
का निधन हुआ है किन्तु उनके परिवारों को सहायता नहीं
मिलती।
इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा कि आज हिन्दी पत्रकारिता
दिवस है। आज ही के दिन 30 मई 1826 को कलकत्ता से देश
का पहला हिन्दी समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड प्रकाशित
हुआ था। उन्होंने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता के सामने
दो चुनौतियां हैं एक हिन्दी अखबारों में भाषा के
प्रयोग को लकेर है तथा दूसरी इंटरनेट पर रोमन भाषा के
प्रयोग से है। उन्होंने कहा कि आज हिन्दी अखबारों में
अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग की भरमार है। हिन्दी शब्दों
के स्थान पर अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग यह कहकर किया
जा रहा है कि ये आम बोलचाल की भाषा है। दूसरी ओर
इंटरनेट पर रोमन में हिन्दी लिखी जा रही है। इससे
हिन्दी शब्दावली के सामने संकट है। एक बड़ा वर्ग
इंटरनेट पर अंग्रेजीमें ही सारे काम कर रहा है। हालांकि
भारत सरकार सूचना और तकनीक विभाग ने हिन्दी के कई
साफ्टवेयर प्रस्तुत कर सरराहनीय कार्य किया है। जीस्ट
साफ्टवेयर हिन्दी में ई-मेल और यूनिकोड़ की सुविधा
प्रदान करते हैं। इनके प्रचार प्रसार की जरुरत है।
इस अवसर पर उपजा की स्थानीय इकाई द्वारा प्रकाशित
स्मारिका समर्पण का विमोचन मुख्य अतिथि राजनाथ सिंह ने
किया। कार्यक्रम में जनता दल (एस) के राष्ट्रीय
महासचिव कुंवर दानिश अली, वरिष्ठ पत्रकार अनिल
माहेश्वरी, उपजा के एनसीआर प्रभारी सुनील छइंया,
वरिष्ठ पत्रकार अनिल त्यागी, सुरेश चन्द्र संपादक,
सुभाष महेश, डा. अशोक मैत्रेय, मुशर्रफ चौधरी, अनिल
आजाद, उदय सिहा, वरिष्ठ पत्रकार रमेश चन्द्र जैन, उपजा
की प्रदेश कार्यकरिणी के सदस्य ज्ञानेन्द्र शर्मा,
हरेन्द्र चौधरी, उपजा की गाजियाबाद इकाई के अध्यक्ष
राजकुमार शर्मा समेत अनेक प्रमुख पत्रकार उपस्थित थे।
कार्यक्रम में उपजा के जिला महामंत्री फजलुर्रहमान ने
जिला इकाई की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा जिला
अध्यक्ष अमिल अग्रवाल ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार अनिल माहेस्वरी ने तथा
संचालन अनिल वाजपेयी ने किया। कार्यक्रम की समाप्ति पर
शामे गजल का आयोजन किया गया।वकार्यक्रम में
गजलकारमुकेश तिवारी व उनकी टीम के सदस्यों ने गजल
सुनाकर उपस्थित लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
हरिद्वार सम्मेलन में बसपा ने दिखाया पत्रकारों को
बाहर का रास्ता
Publised
on :
2011:05:22 Time 23:55 Update
on
2011:05:23 Time
08:40
Haridwar, हरिद्वार, 22
मई। (उप्रससे)। बहुजन समाज पार्टी के एक दिवसीय
राय सम्मेलन में आज पत्रकारों को कार्यकर्ताओं की
नाराजगी के चलते नेताओं ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कार्यकर्ता मीडिया के लोगों की सम्मेलन में मौजूदगी के
चलते अपनी नेता को ठीक से देख नही ंपा रहे थे। इसलिए
उन्होंने कैमरामैन तथा पत्रकारों की वहां मौजूदगी पर
आपत्ति की। इस आपत्ति को नेताओं ने स्वीकार करके
पत्रकारों से आग्रह कर लिया कि यह पार्टी का आंतरिक
सम्मेलन है मीडिया कवरेज के लिए नहीं है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आज प्रात:
ऋषिकुल में बहुजन समाज पार्टी का राय सम्मेलन आरंभ हुआ
तो वहां बड़ी संख्या में कवरेज के लिए मीडिया के लोग
पहुंच गए। क्योंकि सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की
मुख्यमंत्री सुश्री मायावती को बतौर मुख्य अतिथि रहना
था। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जब सम्मेलन शुरु हुआ
तो मीडिया के लोग मंच के सामने जम गए। क्योकि उनके लिए
अलग से कोई प्लेटफार्म या कवरेज के लिए स्थान नियत नहीं
किया था। मंच के सामने मीडिया और कैमरामैनों के खड़े
होने पर सामने बैठे कार्यकर्ता आपत्ति करने लगे कि
मीडिया के लोग हट जाएं। इसी दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने
मीडिया के लोगों के ऊपर पानी की खाली बोतलें भी फ
ेंकीं। यह माजरा जब उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री
राम अचल राजभर ने देखा तो उन्होंने तत्काल मीडिया के
लोगों से आग्रह कर लिया कि यह सम्मेलन सार्वजनिक नहीं
है केवल पार्टी का आंतरिक कार्यक्रम है। इसलिए इसकी
कवरेज की आवश्यकता नहीं है। इस आग्रह पर सभी
मीडियाकर्मी सम्मेलन स्थल से चले गए। एजेंसी ने खबर दी
है कि उक्त सम्मेलन में मुख्यमंत्री और बसपा की
राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती को स्मृति चिन्ह,
स्वर्ण मुकुट तथा हाथी का चिन्ह भेंट किया गया।
लखनऊ से उत्तर प्रदेश समाचार सेवा के अनुसार
बहुजन समाज पार्टी ने हरिद्वार में आयोजित बसपा के राय
सम्मेलन का समाचार जारी किया है। इस समाचार की
विज्ञप्ति पार्टी कार्यालय द्वारा चित्र सहित जारी की
गई है। बसपा द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार
मुख्यमंत्री ने उक्त सम्मेलन में कहा कि पार्टी
उत्तराखण्ड की सभी सीटों पर आगामी विधान सभा चुनाव
लडेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यहां की जनता को
समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए बसपा को सत्ता में
लाना जरूरी है।
वरिष्ठ पत्रकार अभय गुप्त का निधन
Tags: Senior
Journalist Abhay Gupta passes away
Publised
on :
2011:05:21 Time 08:31
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ने शोक जताया
मेरठ, 21 मई। (उप्रससे)। वरिष्ठ पत्रकार
अभय गुप्ता आज सुबह यहां निधन हो गया। श्री गुप्ता 66
वर्ष के थे। वे गंभीर बीमारी के चलते कई सप्ताह से
मेट्रो अस्पताल में भर्ती थे। आज सुबह करीब छह बजे
उन्हें अंतिम सांस ली। श्री गुप्ता के निधन पर पत्रकार
जगत में शोक है। उनके निधन पर उ.प्र.जर्नलिस्ट्स
एसोसिएशन (उपजा) ने शोक जताया है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपनी पत्रकारिता के लिए ख्याति
प्राप्त पत्रकार अभय गुप्त गत वर्ष नवम्बर माह से
बीमार थे। मधुमेह के चलते उनके गुर्दे तथा लिवर खराब
हो गया था। पिछले कई सप्ताह पहले उन्हें गंभीर स्थिति
में मेट्रो चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जहां
आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। श्री गुप्त ने अपने
40 साल के पत्रकारिता कैरियर में दैनिक जागरण, अमर
उजाला, मयराष्ट्र, साक्षी समाचार पत्रों के साथ जुड़कर
कार्य किया। वे यहां से प्रकाशित पाक्षिक राष्ट्रदेव
के संपादक भी रहे। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत
दैनिक मयराष्ट्र से की थी। लम्बे समय तक वे दैनिक
जागरण के साथ जुडे रहे। यहीं से वे सेवानिवृत्त हुए
थे।
श्री गुप्त उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के साथ
सक्रिय रूप से जुड़े थे। वे उपजा के जिला महामंत्री तथा
दो बार जिला अध्यक्ष रहे। इसके अलावा अन्य सामाजिक
गतिविधियों में भी संलन रहते थे। श्री गुप्त को
सामाजिक कार्यों में सक्रियता के चलते ही मर्केंन्टाइल
को आपरेटिव बैंक का चेयरमैन भी मनोनीत किया गया था। वे
कुछ समय तक ही इस पद पर रहे। जीवन के अंतिम वर्षो में
वे एक शिक्षण संस्थान से जुड़े थे। संस्थान के
पत्रकारिता विभाग में शिक्षार्थियों का मार्ग दर्शन
करते थे।
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के प्रदेश अध्यक्ष
रतन कुमार दीक्षित और महामंत्री सर्वेश कुमार सिंह ने
श्री गुप्त के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उपजा की ओर
से श्री गुप्त को श्रध्दांजलि देते हुए श्री दीक्षित
ने कहा कि श्री गुप्त ने हमेशा निर्भीक पत्रकारिता की।
उन्होंने कभी भी पत्रकारिता मानदण्डों के साथ समझौता
नहीं किया। उनके निधन से उपजा परिवार और पश्चिम उत्तर
प्रदेश की पत्रकारिता की अपूर्णीय क्षति हुई है।
प्रेस फोटोग्राफर
संजय खरे का मार्ग दुर्घटना में निधन |
tags:
Press photographer Sanjai Khare dead in road
accident |
Tags:
Sanjai Khare|Press
Photographer|Lucknow|Dainik
Jagran|
Panchjanya Weekly |
Source: U.P.Samachar Sewa,
www.upwebnews.com
|
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on :
2011:05:12 Time
23:20 Update
on
2011:05:13
Time 09:50 |
उपजा ने
शोक सभा आयोजित कर श्रध्दांजलि अर्पित की
लखनऊ, 12 मई। । राजधानी के प्रेस
फोटोग्राफर संजय खरे का बीती रात मार्ग
दुर्घटना में निधन हो गया। वे 45 वर्ष के
थे। श्री खरे लम्बे समय तक दैनिक जागरण और
पाञ्चजन्य साप्ताहिक समाचार पत्रों से जुड़े
रहे थे। वर्तमान में वह स्वतंत्र प्रेस
फोटोग्राफर के रूप में कार्यरत थे। उनके
निधन पर उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा)
ने शोक व्यक्त किया है।
श्री खरे बीती सायं इंटौजा थाना क्षेत्र
में किसी पारिवारिक आयोजन शामिल होने
परिवार के अन्य सदस्यों के साथ गए थे। रात
करीब 11 बजे निजी कार से लौटते समय कार
पलटने से उनकी मृत्यु हो गई तथा परिवार के
अन्य कई सदस्य घायल हो गए। श्री खरे का
अन्तिम संस्कार आज अपरान्ह गोमती तट स्थित
भैंसा कुण्ड श्मसान घाट पर किया गया।
अंतिम संस्कार के मौके पर नगर के प्रमुख
पत्रकार, प्रेस फोटोग्राफर तथा अन्य लोग
भारी संख्या में उपस्थित थे। श्री खरे ने
प्रेस फोटोग्राफर के रूप में अपना कैरियर
दैनिक जागरण से शुरु किया था। वह अयोध्या
आन्दोलन के समय दैनिक जागरण में कार्यरत
थे। उन्होंने 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या
में विवादित ढांचा के विध्वंस के समय फोटो
कवरेज की थी। इस दौरान वह कारसेवकों के
आक्रोश के भी शिकार हुए थे। तदुपरान्त श्री
खरे नई दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक
समाचार पत्र पाञ्चजन्य से जुड़े तथा काफी
समय पाञ्चजन्य में प्रेस फोटोग्राफर के
रूप में कार्य किया। उन्होंने विश्व संवाद
केन्द्र की गतिविधियों में योगदान किया।
वे विश्व संवाद केन्द्र से सक्रिय रूप से
जुड़े थे।
युवा फोटोग्राफर के निधन पर आज
उ.प्र.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ने
प्रदेश कार्यालय में शोक सभा आयोजित करके
उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित की। इस अवसर पर
श्री खरे के पत्रकारिता के लिये किये गए
योगदान को याद किया गया। वक्ताओं ने कहा
कि श्री खरे उत्साही पत्रकार थे। शोक सभा
में उपजा के प्रदेश महामंत्री सर्वेश
कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष सत्येन्द्र अवस्थी,
लखनऊ जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष
अशोक मिश्र, महामंत्री भारत सिंह, सुशील
सहाय, राजेश सिंह, सुनील त्रिवेदी आदि
उपस्थित थे।
Comments on this News & Article:
upsamacharsewa@gmail.com
up_samachar@sify.com |
Indian International Journalism Festival
- 2011 announced
Tue, May 03, 2011 17:01:40 IST
COUTESY BY : merinews.com
ON THE occasion of World Press Freedom Day on May 3,
2011, RBS Media launches Indian International Journalism
Festival. The
festival will be held online & broadcast on
Miniboxoffice dotcom the largest media & film market,
during the month of May and June-11.
उपजा
के
मई
दिवस
समारोह
में
सांस्कृतिक
संध्या
आयोजित
घोटाले
उजागर
करने
में
मीडिया
ने
बड़ी
भूमिका
निभाईः
कलराज
मिश्र
Publised
on :
2011-05-03
Time 13:51 tags:
UPJA May Day, Kaisherbagh, Lucknow
लखनऊ,
2
मई।
भारतीय
जनता
पार्टी
के
वरिष्ठ
नेता
और
राज्यसभा
सदस्य
कलराज
मिश्र
ने
रविवार
को
कहा
कि
समाज
का
चौथा
स्तम्भ
होने
के
कारण
पत्रकारों
ने
सत्ता
प्रतिष्ठान
के
सामने
न
झुकते
हुए
घोटालों
को
उजागर
करने
में
बड़ी
भूमिका
निभाई
की
है।
विशेष
रूपसे
प्रिंट
मीडिया
ने
देश
में
हो
रहे
बहुविध
भ्रष्टाचारों
को
उजागर
किया
है।उन्होंने
कहा
कि
समाज
जीवन
के
विविध
क्षेत्रों
में
गिरावट
के
साथ
ही
पत्रकारिता
में
भी
गिरावट
की
बात
कही
जा
रही
है।
लेकिन,
पत्रकारिता
जगत
का
अधिकांश
हिस्सा
इस
आरोप
से
अछूता
है।
उसने
समाज
की
विडंबनाओं
को
सामने
लाने
का
स्तुत्य
काम
किया
है।
श्री
मिश्र
मई
दिवस
के
उपलक्ष्य
में
एक
मई
को
उत्तर
प्रदेश
जर्नलिस्ट्स
एसोसिएशन
(उपजा)
एवं
लखनऊ
जर्नलिस्ट्स
एसोसिएशन
(एलजे)
द्वारा
राय
उमानाथ
बली
प्रेक्षागृह
में
आयोजित
कार्यक्रम
में
मुख्य
अतिथि
पद
से
बोल
रहे
थे।
उन्होंने
कहा
कि
बदलते
वैश्विक
और
भारतीय
परिवेश
में
पत्रकारों
के
लिए
जहां
रोजगार
के
अवसर
बढ़ें
हैं
वहीं
उनके
सामने
चुनौतियां
भी
बढ़ी
हैं।
उनका
काम
हो
सकता
है
आठ,
10, 12
घंटे
का
होता
हो
लेकिन
वे
24
घंटे
के
पत्रकार
होते
हैं।
कारण
प्रतिस्पर्धा
के
इस
दौर
में
उन्हें
हर
समय
सजग
रहना
पड़ता
है।
इसलिए
किसी
भी
समय
उनका
काम
खत्म
नहीं
होता
है।
उन्होंने
कहा
कि
इस
सबके
बावजूद
पत्रकारों
विशेष
रूप
से
प्रिंट
मीडिया
से
जुड़े
पत्रकारों
ने
समाज
को
सचेत
करने
का
बड़ा
काम
किया
है।
श्री
मिश्र
ने
कहा
कि
मई
दिवस
पत्रकारों
के
अधिकारों
और
कर्त्वयों
की
समीक्षा
का
दिवस
है।
पत्रकार
स्वयं
कार्य
का
मूल्यांकन
भी
करता
है।
उन्होने
कहा
कि
पत्रकार
की
संचेतना
जागृत
होती
है
तो
पत्रकार
समाज
में
बदलाव
के
लिये
बड़े
कार्य
करते
हैं।
पत्रकारों
की
इसी
संचेलना
ने
ही
देश
में
हुए
महाघोटालों
को
उजाकर
किया
है।
शिक्षाविद
डाक्टर
रमेश
दीक्षित
ने
इस
अवसर
पर
कहा
कि
पत्रकारों
के
सामने
चुनौतियां
बड़ी
हैं।
समाज
में
सच
के
साथ
खड़े
होना
उनका
धर्महै
तो
परिवार
और
समाज
की
अन्य
जिम्मेदारियों
का
निर्वाह
भी
उनके
ही
हिस्से
में
आताहै,
उन्हें
निभाना
भी
उनका
कर्तव्य
है।
उन्होंने
कहा
कि
पत्रकारों
के
काम
कीपरिस्थितियां
बदली
है,
समाज
में
हो
रहे
बदलावों
के
कारण
पेशेगत
बदलाव
भी
हो
रहाहै।
इनके
बीच
पत्रकारों
को
अपने
को
समायोजित
करना
है।
साथ
ही
अपने
अधिकारों
के
भीलड़ना
होता
है।
यह
काम
कठिन
जरूर
हो
सकता
है
लेकिन
असंभव
नहीं।
नेशनल
यूनियन
आफ
जर्नलिस्ट्स
(इंडिया)
के
पूर्व
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
पीके
राय
ने
पत्रकारों
की
समस्याओं
विशेष
रूप
से
वेतन
संबंधी
विसंगतियों
पर
अपने
विचार
रखे।
उन्होंने
कहा
कि
जिस
हिसाब
से
महंगाई
बढ़ी
है
उस
हिसाब
से
उनके
वेतन
में
वृद्धि
नहीं
हुई।
वर्तमान
मजीठिया
आयोग
की
संस्तुतियों
की
चर्चा
करते
हुए
उन्होंने
संभावना
व्यक्त
की
कि
मीडिया
मालिकों
की
ओर
से
उसे
पूरी
तरह
लागू
नहीं
किया
जाएगा।
उन्होंने
आशा
व्यक्त
की
कि
पत्रकार
अपनी
पेशगत
जिम्मदेरियां
निभाते
हुए
अपने
अधिकारों
के
प्रति
भी
सजग
रहेंगे।
वरिष्ठ
पत्रकार
हेमंत
तिवारी
ने
पत्रकारों
से
संगठन
पर
बल
दिया
और
कहा
कि
मई
दिवस
जैसे
कार्यक्रमों
को
रस्मी
बनाने
से
बचना
चाहिए।
पत्रकार
संगठित
होकर
अपनी
आवाज
बुलंद
करें
तो
ज्यादा
प्रभावकारी
हो
सकेंगे।
उपजा
के
प्रदेश
अध्यक्ष
रतन
कुमार
दीक्षित
ने
इस
अवसर
पर
पत्रकारों
के
स्वाभिमान
को
ललकारा
और
कहा
कि
कठिन
से
कठिन
हालात
मेंभी
उन्हें
हार
नहीं
माननी
चाहिए।
सत्ता
संस्कृति
से
निरंतर
लड़ने
की
प्रवृत्ति
नकेवल
विकसित
करनी
होगी
वरन
उसे
और
धार
देने
की
जरूरत
है।
उपजा
के
प्रदेश
महामंत्री
सर्वेश
कुमार
सिंह
ने
संगठन
की
ओर
से
सभी
का
स्वागत
किया।
कार्यक्रम
में
उपजा
के
पूर्व
प्रदेश
अध्यक्ष
वीर
विक्रम
बहादुर
मिश्र,
पी
बीए
वर्मा,
प्रदेश
उपाध्यक्ष
राजीव
शुक्ला,
एनयूजे
की
राष्ट्रीय
कार्यकारिणी
सदस्य
रवीन्द्र
जायसवाल,
उपजा
के
पूर्व
महामंत्री
सुभाष
दवे,
वरिष्ठ
पत्रकार
नन्दकिशोर
श्रीवास्तव,
अजय
कुमार,
मुदित
माथुर,
लखनऊ
ईकाई
के
अध्यक्ष
अशोक
मिश्र,
महामंत्री
भारत
सिंह,
,
टी
सुनील
त्रिवेदी
समेत
बड़ी
संख्या
में
पत्रकारों
और
उनके
परिवार
के
लोगों
ने
हिस्सा
लिया।
संचालन
उपजा
के
कोषाध्यक्ष
सत्येंद्र
अवस्थी
ने
किया।
इस अवसर पर सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया।
सांस्कृतिक संध्या में गीत, लोक नृत्य. हास्य कार्यक्रम
आयोजित किये गए। सांस्कृतिक संध्या में रजनीश त्रिवेदी ने
हास्य, विकास अवस्थी, ऋचा, एवं विभा ने नृत्य तथा राजेश
श्रीवास्तव ने जादू का प्रदर्शन किया।
वरिष्ठ पत्रकार के.डी.बनर्जी का निधन
मुख्यमंत्री मायावती और पत्रकार संगठनों ने शोक व्यक्त किया
लखनऊ, 24 अप्रैल। (उप्रससे)। वरिष्ठ पत्रकार के.डी.बनर्जी
का आज यहां निधन हो गया। वे लगभग 75 वर्ष के थे। उनके निधन
पर विभिन्न पत्रकार संगठनों तथा मुख्यमंत्री मायावती ने
शोक व्यक्त किया है।
श्री बनर्जी राजधानी से प्रकाशित नेशनल हेराल्ड, टाइम्स आफ
इण्डिया और इण्डियन एक्सप्रेस में रहे। वर्तमान में वे
मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार थे। श्री बनर्जी के निधन
पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री सुस्री मायावती ने कहा
है कि स्व.बनर्जी एक प्रतिभाशाली पत्रकार थे, जो लम्बे समय
तक पत्रकारिता से जुड़े रहे। उनके निधन से पत्रकारिता की
अपूर्णीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की
शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी
संवेदना व्यक्त की है।
नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इण्डिया) के पूर्व राष्ट्रीय
अध्यक्ष पी.के.राय ने भी स्व.बनर्जी के निधन पर शोक व्यक्त
किया है। श्री राय ने कहा है कि उनके निधन से पत्रकारिता
जगत ने एक प्रतिभाशाली पत्रकार को खो दिया है। एनयूजे की
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य प्रमोद गोस्वामी ने भी
स्व.बनर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने जीवन
भर समर्पित होकर पत्रकारिता की।
यू.पी.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) और लखनऊ जर्नलिस्ट्स
एसोसिेएशन (एलजेए) ने भी स्व बनर्जी के निधन पर शोक व्यक्त
किया है। उपजा के पूर्व अध्यक्ष वीर विक्रम बहादुर मिश्र,
पी.बी.वर्मा, उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, महामंत्री सर्वेश
कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष सत्येन्द्र अवस्थी, लखनऊ
जर्नलिस्ट्स एसोसिएसन के अध्यक्ष अशोक मिश्र एवं महामंत्री
भारत सिंह ने भी स्व.बनर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते
हुए उन्हें श्रध्दांजलि अर्पित की है।
BBC: श्रोताओं की कटौती वापस लेने की
मांग
रामदत्त त्रिपाठी
बीबीसी संवाददाता, लखनऊ
Courtesy by BBC.COM
एक छोर पर नेपाल सीमा, दूसरे छोर पर मध्यप्रदेश से लगा
बुंदेलखंड और दिल्ली के क़रीब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के
ज़िले.लोग गर्मी के मौसम में इतनी दूर-दूर से अपने खर्चे
पर चलकर लखनऊ बीबीसी के संपादकों और प्रबंधकों से सिर्फ़
ये कहने आए कि जैसे भी हो बीबीसी हिंदी के रेडियो
कार्यक्रमों में हाल ही में हुई कटौती वापस ली जाए......
यूपी में नकल रोकने
के बजाय मीडिया पर बंदिश, मीडियाकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट
नकल कराने वालों को शिक्षा विभाग ने दी क्लीन चिट
-नकल उजागर करने पर रिपोर्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज,
कई अन्य कतार में
-डीआईओएस ने कहा : एक्ट के प्रावधान व शासन के आदेशों
के तहत हो रही कार्रवाई
वाराणसी, 28 मार्च। 2011 प्रदेश में रविवार को एक नया
इतिहास रचा गया। माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल व इंटर
मीडिएट की परीक्षा में धुआंधार नकल करने व कराने वालों को
शिक्षा विभाग ने पूरी तरह क्लीन चिट दे दी। इसकी जगह
विद्यालयों में हो रही धुआंधार नकल को उजागर करने वाले
मीडिया कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। एक
मुदकमा दर्ज हो चुका है, कई अन्य कतार में हैं। डीआईओएस
विजय शंकर मिश्र का कहना था कि 'जागरण' के खिलाफ माध्यमिक
शिक्षा परिषद एक्ट के प्रावधान व शासन के निर्देश पर
कार्रवाई की जा रही है। बहरहाल, नकल उजागर करने पर मीडिया
के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का प्रदेश में अपनी तरह का यह
पहला मामला है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा
2011 को नकल विहीन कराने के तमाम दावों की जागरण ने पोल
खोल कर रख दी है। परीक्षा के पहले ही दिन से जागरण ने
केन्द्र निर्धारण में धांधली से लेकर धुआंधार हो रही नकल
के समाचार सचित्र प्रकाशित किए। खुद माध्यमिक शिक्षा मंत्री
के विद्यालय में भी अनियमितता पकड़ी गई थी। जागरण के इस
अभियान से बोर्ड परीक्षा में तार तार होती शुचिता की
तस्वीर दिखाने के साथ ही इस परीक्षा में होने वाले करोड़ों
के खेल की पोल खुलने लगी थी। नकल के खिलाफ जागरण के अभियान
से बौखलाए नकल माफियाओं व शिक्षा विभाग के आकाओं ने इस
मुहिम को रोकने के लिए अब किसी भी स्तर पर जाने की तैयारी
कर ली है। शिक्षा विभाग के आकाओं ने नकल कराने वाले
केन्द्र व्यवस्थापकों, प्रबंधकों आदि के खिलाफ अब तक कोई
कार्रवाई नहीं की। इसकी जगह इनकी शह पर नकल माफियाओं की ओर
से इसे उजागर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज
कराई जा रही है।
इस क्रम में जागरण के संवाददाताओं के खिलाफ चौबेपुर थाने
में पहली एफआईआर रविवार रात को दर्ज कर ली गई। श्री
खड़ेश्वरी बाबा बालिका इंटर कालेज के केन्द्र व्यवस्थापक की
ओर से दर्ज कराई गई इस एफआईआर में परीक्षा केन्द्र में बिना
अनुमति घुसने, धमकी देने आदि का आरोप लगाया गया है। नकल के
लिए क्षेत्र भर में कुख्यात इस विद्यालय में हो रही नकल को
फोटो सहित प्रकाशित किया गया था। इस पर जिला प्रशासन या
शिक्षा विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। अलबत्ता वाराणसी के
डीआईओएस विजय शंकर मिश्र ने इन सभी विद्यालयों को क्लीन
चिट दे दी। उनका कहना था कि कहीं कोई नकल नहीं हो रही है।
शिक्षा विभाग द्वारा खुलेआम दी जा रही इस शह को देखते हुए
कई अन्य विद्यालयों ने भी अलग अलग थानों में सोमवार को
तहरीर दाखिल कर दी है।
पहली बार लगी मीडिया पर रोक
वाराणसी : शिक्षा विभाग इस साल नकल के खेल को पूरी तरह
गोपनीय रखने की कवायद में शुरुआत से ही जुटा था। विभाग ने
इसके लिए इस साल पहली बार परीक्षा केन्द्रों में मीडिया के
प्रवेश को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। इसके लिए बकायदा
शासनादेश जारी किया गया। इसमें परीक्षा केन्द्र में मीडिया
के प्रवेश करने व फोटो खींचने की स्थिति में केन्द्र
व्यवस्थापक को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी बनाया गया। नकल
की तस्वीरें किसी भी स्थिति में जारी न हो, इसके लिए विभाग
किसी भी स्तर तक जाने को तैयार था। वैसे अभी तक माध्यमिक
शिक्षा विभाग खुद परीक्षा केन्द्रों की तस्वीरें व
वीडियोग्राफी कराता था। कुछ वर्ष पूर्व तक इसके लिए बकायदा
अलग से बजट भी जारी किया जाता था। (साभारः जागरण डाट काम)
उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन, आगरा इकाई का चुनाव
टूरिस्ट बंगला में हुआ. चुनाव पर्यवेक्षक उपजा के
प्रदेश सचिव एके ताऊ तथा चुनाव अधिकारी वरिष्ठ पत्रकार
रमाशंकर शर्मा थे. इन दोनों लोगों के नेतृत्व में
शांतिपूर्वक चुनाव सम्पन्न कराया गया. जिसमें राजीव सक्सेना
अध्यक्ष तथा विवेक कुमार जैन महामंत्री चुने गए.
दिनेश भदौरिया, शरद चौहान, विजय बघेल, अरूण रावत एवं
जसवीर सिंह को उपाध्यक्ष चुना गया. सुभाष जैन कोषाध्यक्ष,
नासिर हुसैन, विनीत दुबे, पंकज सक्सेना, सुनीत कुलश्रेष्ठ,
वेद प्रकाश चाहर सचिव निर्वाचित हुए. नव निर्वाचित
पदाधिकारियों को पत्रकारों ने बधाई दी.
इस मौके पर ताज प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष गजेंद्र
यादव, जनसंदेश टाइम्स के ब्यूरोचीफ डा. महाराज सिंह
परिहार, ताज टाइम्स के संपादक राजेंद्र शर्मा, वरिष्ठ
पत्रकार शिव कुमार भार्गव सुमन सहित कई पत्रकार तथा
पदाधिकारी मौजूद रहे.
A community radio station in
Rajasthan has contributed towards the development of
rural women in Tilonia by educating them about
banking, child health and government policies among
other issues.
March 2, 2011 -
Tilonia (Rajasthan). ( Courtesy by A.N.I & Andhra News
Net)). A community radio station in Rajasthan has
contributed towards the development of rural women in
Tilonia by educating them about banking, child health
and government policies among other issues.The radio
station has imparted knowledge of new technologies to
the villagers, to help them improve their earnings and
increase development.
The Tilonia community
radio station was started in November 2009, and has a
frequency range, which is effective over a
15-kilometre radius covering around 30 villages and
50,000 people.Ratan Devi, programming head and
announcer of the radio station, said: " The concept of
community radio in Tilonia is to give information to
the local people in their native language, so that
they easily understand things."" It is the people's
radio and they decide what kind of information they
want. They should come here and talk to us, and inform
us about the issues they want to know so that we can
impart knowledge in a better way," she added.
Dabu Devi, a native
woman, said: " It is for our benefit. We can get
information about the amendments in employment
opportunities. The women in the village are
illiterate, but by listening to the radio programmes
they get information about employment opportunities
and understand their rights and don't get cheated by
anyone. We are really benefited; we also get the news
when there is an increment in the daily wages."Local
women are also invited to the radio station to take
part in discussions and perform.The programmes are
targeted at women and are based on developmental,
agricultural, health, educational, cultural,
environmental, social welfare and other community
development issues.
पत्रकार घनश्याम पंकज का निधन
लखनऊ, 26 जनवरी।
(साभारः भड़ास
फोर मीडिया) ।
वरिष्ठ पत्रकार
एवं वॉयस ऑफ लखनऊ
के सलाहकार घनश्याम
पंकज का आज कोच्चि
में निधन हो गया.
वे लगभग 70 साल
के थे तथा किडनी
की बीमारी से
पीडि़त थे. कई
अखबारों में
प्रधान संपादक भी
रह चुके थे. उनके
निधन से लखनऊ
मीडिया जगत में
शोक की लहर व्याप्त
है.
श्री पंकज पिछले
काफी समय से किडनी
की बीमारी से
ग्रसित थे. इसी
का इलाज पिछले
काफी समय से वे
कोच्चि में करा
रहे थे. डाक्टरों
ने उन्हें किडनी
ट्रांसप्लांट की
सलाह दी थी. जिसके
बाद वे किडनी
ट्रांसप्लांट
कराने के लिए
तैयार हो गए थे.
ऑपरेशन के बाद
उनकी किडनी
ट्रांसप्लांट कर
दी गई थी. ऑपरेशन
के बाद वे कोच्चि
में ही डाक्टरों
की निगरानी में
थे. अचानक उनकी
तबीयत खराब हुई
और उनका निधन हो
गया.मूल रूप से
बिहार के मुंगेर
जिले के रहने वाले
घनश्याम पंकज को
ज्यादातर समय
दिल्ली और लखनऊ
में ही बीता. उन्होंने
अपने करियर की
शुरुआत एक समाचार
एजेंसी समाचार
भारती न्यूज के
साथ की थी. इसके
बाद दिल्ली में
दिनमान, नवभारत
टाइम्स में
कार्यरत रहे.
लखनऊ मे जनसत्ता,
जनसत्ता एक्सप्रेस,
स्वतंत्र भारत
में संपादक के पद
पर भी रहे. कुबेर
टाइम्स के
प्रधान संपादक रहे.
इन दिनों वे वॉयस
ऑफ लखनऊ के साथ
सलाहकार के रूप
में जुड़े हुए
थे.
पत्रकारों का आगरा
घोषणा पत्रः फरवरी में पूरे होंगे तीस साल
लखनऊ, 23 जनवरी। (उप्रससे)। पत्रकारों
के आगरा घोषणा पत्र को अगले महीने 30 साल पूरे हो रहे हैं।
यह घोषणा पत्र नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स (इण्डिया)
एनयूजे के आगरा में 7,8 एवं 9 फरवरी 1981 को आयोजित चौथे
द्विवार्षिक सम्मेलन में स्वीकार करके जारी किया गया
था। आगरा षोषणा पत्र पत्रकारो के कार्य, उनके व्यवहार,आचरण,
स्वच्छ और आदर्श पत्रकारिता के लिए एक संकल्प पत्र है, इसमें
12 बिन्दु हैं। आगरा घोषणा पत्र को महत्वपूर्ण एवं आवश्यक
मानते हुए द्वितीय प्रेस आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में
शामिल किया था। यह घोषणा पत्र जिस सम्मेलन में स्वीकृत हुआ
उसका आयोजन यू.पी.जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) ने किया था।
सम्मेलन माथुर वैश्य सभा भवन आगरा में आयोजित किया गया था।
पत्रकारों के आगार घोषणा पत्र को तैयार करने तथा उसे जारी
करने के लिये प्रस्तुत करने का श्रेय एमयूजे के तत्कालीन
पदाधिकारियो को है। इसमे विशेष योगदान डा.नन्दकिशोर त्रिखा
का रहा।
National
Union of Journalists (India)
Agra Declaration of Journalists
7, 8 February, 1981
We, the
working journalists of India, considering our calling as
a trust, believing in serving the public interest by
publishing news and comments in free and fair manner,
holding that the freedom of the Press and the right to
information are inalienable and are inherent to the
democratic process and as such need to be cherished and
strengthened by all; realizing that the press and the
society can flourish fully only when every individual
freely enjoys his fundamental human rights and,
therefore, we must uphold and defend these rights;
recognizing that the rights of journalists also enjoin
upon them the obligation and duty to maintain the
highest standards of personal and professional integrity
and dignity; and feeling that in order not only to
eschew fear or favour but also appear to be doing so,
journalists must be ensured a reasonably decent living
and appropriate working conditions; pledge and declare
that -
1. We
shall protect and defend at all costs the right to
collect and publish facts and to make fair comment and
criticise.
2. We
shall endeavour to report and interpret the news with
scrupulous honesty, shall not suppress essential facts.
We shall observe and protect the rule of fair play to
all concerned, resisting all pressures.
3. We
shall not acquiesce in or justify the imposition of
censorship by any authority in any form and we shall not
ourselves try to exercise censorship on others.
4. We
shall endeavour to uphold and defend the fundamental
human rights of the people and safeguard the public
interest.
5. We
shall not let ourselves be exploited by others, nor
shall we exploit our status for personal ends. Personal
matters shall not be allowed to influence professional
conduct. We shall seek to maintain full public
confidence in the integrity and dignity of the
profession of journalism and shall ask and accept only
such tasks which are compatible with its integrity and
dignity.
6. We
shall not deliberately invade personal rights and
feelings of individuals without sure warrant of public
interest as distinguished from public curiosity. But, we
shall not compromise our rights to report and expose in
public interest the affairs of public men and other
influential people. For, public affairs must be
conducted publicly.
7. We
shall consider the acceptance or demand of a bribe or
inducement for publication or suppression of news as one
of the most serious professional offences.
8. We
shall unitedly and individually resist assaults and
pressures from any quarter and in any form on
journalists, in particular, and the Press, in general,
in the discharge of professional work.
9. We
shall always respect confidence and preserve
professional secrecy.
10. We
shall strive constantly to raise professional standards
and improve the quality of work.
11. We
shall try to exercise self-restraint and discretion in
dealing with incidents of communal frenzy and other
social tensions without prejudice to the people's right
to know.
12. We
shall collectively endeavour to secure higher levels of
wages and better working conditions consistent with our
functions, responsibilities and status. We shall not
injure the economic or professional interests of fellow
journalists by unfair means.
(The
proposal was prepared and moved by Dr. N. K. Trikha and
adopted unanimously at the 4th Biennial Conference of
the NUJ (1) held at Agra in February, 1981)
विधायक की पेशी के
दौरान मीडिया पर हलमे से आक्रोश
लखनऊ 21 जनवरी।
उ0प्र0 कंाग्रेस कमेटी के मीडिया चेयरमैन एवं बांदा, सदर
विधायक विवेक कुमार सिंह ने शीलू बलात्कार काण्ड में जेल
में निरूद्ध विधायक पुरूषोत्तम नरेश द्विवेदी को आज
बांदा न्यायालय परिसर में पेशी पर लाये जाने के दौरान
न्यायालय परिसर में विधायक के समर्थकों द्वारा मीडिया
प्रतिनिधियों पर किये गये प्राणघातक हमले की कड़ी निंदा की
है।
श्री सिंह ने कहा कि बांदा के अंदर लोकतंत्र पर लगातार
आघात किया जा रहा है, तरह-तरह से लोगों को धमकाया जा रहा
है। आज खुलेआम पेशी पर न्यायालय आ रहे विधायक के समर्थकों
ने न्यायालय परिसर में पत्रकारांे पर प्राणघातक हमला किया
जिसमें कुछ चोटिल हो गये तथा कुछ गंभीर रूप से घायल हो गये।
टाइम्स नाऊ न्यूज चैनल का कैमरामैन बेहोश होकर गिर गया।
जी.न्यूज, आईबीएन-7, सहारा समय एवं दूरदर्शन के कैमरामैन
घायल हुए हैं। उन्होने कहा कि इतनी कम पुलिस विधायक की पेशी
के दौरान लगायी गयी जबकि शीलू के लिए पूरे परिसर को छावनी
में तब्दील कर दिया जाता है।
श्री सिंह ने कहा कि यह सुनियोजित तरीके से पत्रकारों पर
हमला करवाया गया है। चूंकि इन पत्रकारों ने बड़ी बहादुरी के
साथ करीब एक माह से शीलू प्रकरण को उठा रहे हैं, इसी से यह
लोग नाराज थे और इसीलिए हमला करवाया गया।
श्री सिंह ने सरकार से मांग की है कि तत्काल बांदा के एस.पी.
को हटाया जाये। बांदा में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज
नहीं रह गयी है। प्रशासन पूरी तरह पंगु हो गया है। इसी के
साथ ही उन्होने मांग की है कि जो पत्रकार घायल हो गये हैं
उन्हें मुआवजा दिया जाय तथा जिनके कैमरे आदि टूट गये हैं
उन्हें तत्काल सहायता दी जाय तथा जिन लोगों ने इस घटना को
अंजाम दिया है उन्हें तत्काल गिरफ्तार कर दण्डित किया जाय।
मजीठिया वेतन आयोग की रिपोर्ट
पत्रकारों के वेतन में 65 प्रतिशत तक वृद्धि सिफारिश
नई दिल्ली, 31
दिसम्बर। 2010 ।
पत्रकारों और गैर
पत्रकारों के लिए
गठित मजीठिया वेज
बोर्ड ने अखबारों
और समाचार
एजेंसियों के
कर्मियों के लिए
65 प्रतिशत तक
वेतन वृद्धि की
सिफारिश की है।
साथ में बेसिक का
40 प्रतिशत तक
हाउस रेंट अलाउंस
और 20 प्रतिशत तक
कन्वेअन्स अलाउंस
देने का सुझाव
दिया है।
जस्टिस जीआर
मजीठिया के
नेतृत्व वाले
वेतन बोर्ड ने यह
भी सिफारिश की कि
नए वेतनमान जनवरी
2008 से लागू किए
जाएं। बोर्ड ने
पहले ही बेसिक का
30 प्रतिशत
अंतरिम राहत राशि
के रूप में देने
का ऐलान कर दिया
था। मजीठिया ने
केंद्रीय श्रम
सचिव पीके
चतुर्वेदी को अपनी
रिपोर्ट सौंपी।
चतुर्वेदी ने
बताया कि सरकार
इस रपट की समीक्षा
करने के बाद इसे
जल्द से जल्द लागू
कराने की कोशिश
करेगी।
बोर्ड ने 35
प्रतिशत वैरियेबल
पे देने की
सिफारिश की है।
न्यूज पेपर
इंडस्ट्री के
इतिहास में किसी
वेतन बोर्ड ने इस
तरह की सिफारिश
पहली बार की है।
मजीठिया वेतन
बोर्ड ने पत्रकारों
और अन्य अखबारी
कर्मचारियों की
रिटायरमेंट आयु
बढ़ाकर 65 साल
करने, डीए के
बेसिक में शत
प्रतिशत
न्यूट्रलाइजेशन
और विवादों के
निपटारे के लिए
स्थायी
ट्राइब्यूनल बनाने
की सिफारिश की
है।
मजीठिया ने
संवाददाताओं से
कहा कि इस बार की
रपट में सबसे
निचले ग्रेड के
लिए भी अच्छे
वेतन की सिफारिश
की गई है।
उन्होंने कहा कि
नए फॉर्म्यूले के
अनुसार पत्रकार
और गैर-पत्रकार
कर्मचारियों का
बेसिक उसके
वर्तमान बेसिक और
डीए में 30
प्रतिशत अंतरिम
राहत राशि और 35
प्रतिशत वैरियेबल
पे को जोड़कर तय
किया गया है। डीए
बेसिक में शत
प्रतिशत
न्यूट्रलाइजेशन
के साथ जुडेगा।
ऐसा अब तक केवल
सरकारी कर्मचारियों
के मामले में होता
आया है।
साभार :
नवभारत टाइम्स
सूचना अधिकार की दुरुपयोग
करने वालों को चिन्हित करें: सूचना आयुक्त
वाराणसी, 18 दिसम्बर। (उप्रससे)। प्रदेश के सूचना आयुक्त
ज्ञानेन्द्र शर्मा ने कहा है कि सूचना अधिकार अधिनियम का
दुरुपयोग करने वालों को चिन्हित करें। उनकी सूचना आयोग को
भी उपलब्ध करायें। इसके साथ ही मानक विपरीत आने वाले
प्रार्थना पत्रों को निरस्त करें। उन्होंने कहा कि जनसूचना
अधिकारी जनता और शासन के बीच की एक कड़ी हैं। श्री शर्मा आज
यहां विकास भवन सभागार में जन सूचना अधिकारियों की बैठक
में समीक्षा कर रहे थे।
श्री शर्मा ने कहा कि जन सूचना अधिकारियों की जन सूचना अधिकार में उनकी
ऐतिहासिक भूमिका है। अपनी कार्य संस्कृति से नजीर बनने की
सलाह देते हुए उन्होने निर्धारित 30 दिवस के अन्दर आवेदक
को जबाब उपलब्ध कराये जाने का निर्देश दिया। अपने से संबंध
न रखने वाले प्रार्थना पत्रो को पॉच दिवस के अन्दर संबंधित
विभाग को मुहैया कराने का भी जन सूचना अधिकारियों को
निर्देश उन्होने प्रथम अपीलीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली
पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि ज्यादातर मामले
उन्हीं के स्तर पर लम्बित हैं। उन्हाेंने प्रथम अपीलीय
अधिकारियों को सूझाव दिये कि वे दोनाें ही पक्षों को
आमने-सामने बुलाकर मामलों के निस्तारण में रूचि लें।
उन्होने जन सूचना अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे जन
सूचना अधिकार के तहत निर्धारित शुल्क अवश्य प्राप्त करें।
इस अधिनियम की सुरक्षा व संरक्षा की जिम्मेदारी उन पर ही
है।
पारदर्शिता पर जोर देते
हुए उन्हाेंने कहॉ कि सरकार के हर कार्य की जानकारी जनता
कर सकती है। श्री शर्मा ने अधिकारियोंकर्मचारियों का
उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि आयोग के संज्ञान में है कि
किन्ही-किन्ही मामलों में आवेदकाें द्वारा संबंधित विभागीय
अधिकारीकर्मचारियों को धमकी भी दी जाती है। इतना ही नहीं
कभी-कभी अधिकारीकर्मचारी दण्डित भी हो जातें है। उन्होने
जोर देते हुए कहॉ कि अधिकारीकर्मचारियों को डरने व आतंकित
होने की जरूरत नहीं है। वे पूर्ण निष्पक्षता के साथ अपने
दायित्व का निर्वहन करें। ऐसे मामलों में उन्हाेंने
निष्पक्ष जॉच का भरोसा भी दिया। इस अवसर पर
डा0ओ0पी0केजरीवाल पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त,भारत सरकार
व पंकज श्रेयस्कर,सचिव केन्द्रीय सूचना आयोग,भारत सरकार ने
भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। कार्यम की अध्यक्षता गॉधी
विद्या संस्थान के निदेशक प्रो0दीपक मलिक ने किया।
इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी प्रोटोकाल संजय सिंह
यादव,परियोजना निदेशक डीआरडीए सहित जिले के सभी जन सूचना
अधिकारी,सहायक जन सूचना अधिकारी सहित स्वयंसेवी संगठनो के
पदाधिकारी भी उपस्थित रह
Supreme
Court's remark on media roll
Courtesy by Sify.com
Last update:
2010-12-14. Time 10:00 IST
Tags: Supreem court, press & Media,
Justice G.S.Singhvi, Justice Ashok Kumar Ganguly
New Delhi, December 14, 2010 (IANS). The
Supreme Court on Monday cautioned the media not to
distort the judicial proceedings and not to tarnish the
image of people by crossing the 'Lakshman Rekha'. 'Don't
take the prceedings very lightly,' the apex court bench
of Justice G.S. Singhvi and Justice Asok Kumar Ganguly
said. They made the remarks at the start of the hearing
of a petition by Tata Group chairman Ratan Tata seeking
to restrain the media from publishing the intercepted
telephonic tapes of lobbyist Nira Radia. The court took
strong exception to the manner in which the media
reported the court proceedings in the 2G spectrum case
and in other matters.
'Investigation into Radia tapes not complete
yet'
The court said the way media reporting was tarnishing
the image of people. The media should not cross the 'Lakshman
Rekha', the judges said. The court said all its queries
in the course of proceedings were by the way of seeking
clarifications and in no way were definitive
observations. It is yet to give the final word in the
matter, the judges said. The court said while the media
played the role of watchdog of democracy, it was
crossing limits every day.
Will cooperate with CBI probe to prove my
innocence: Raja
The court warned that if mediapersons did not
understand the message being conveyed to them, they
would be doing so at their own peril.
|
About World Press Freedom Day 3 May |
|
The
World Association of Newspapers and News
Publishers (WAN-IFRA)
is committed to defending and promoting
a free and independent press worldwide
everyday, but particularly on 3 May,
World Press Freedom Day.
We invite you to download and freely
publish our materials, with credit to
WAN-IFRA and the authors, on or around 3
May, to explore press freedom issues
with your readers.
This year’s theme is the importance of a
free press for democracy, whether
emerging or well established. “Silence
kills democracy… But a free press
talks”.
A free press is at the very core of the
right to free expression, providing a
frontline defence for safeguarding
access to knowledge and information as
defined in Article 19 of the Universal
Declaration of Human Rights.
A free press provides a window through
which all other abuses of fundamental
rights can be revealed.
It affirms that to criticise, hold to
account and call to justice those in
power is the right of the many and not
the few.
Put simply, freedom of expression is the
right that underpins all rights.
To explore these themes in 2011, we
offer essays by Google Vice President
David Drummond; renowned Tunisian writer
Taoufik Ben Brik; head of the World Bank
Institute’s media development, Eric
Chinje; Pakistan publisher and Golden
Pen of Freedom laureate Najam Sethi;
Zimbabwean publisher Trevor Ncube and an
editorial from the World Editors’ Forum.
New for this year, we’re encouraging
newspapers to take up the “white space”
challenge by printing white space on
your front page, to symbolise what would
be missing without a free press. Click
here to
find out how you can participate in this
initiative with your newspaper supplier.
And of course, we offer our full range
of materials do download freely:
Inspire with
editorials and interviews from
journalists, publishers and public
figures.
Stimulate with
cartoons from renowned French cartoonist
Michel Cambon.
Endorse the
campaign by running ready-to-publish
adverts with your publication's name.
Evoke emotion with
striking high-resolution photographs.
Illustrate with
clever infographics.
Encourage young
readers and teachers to take part with
classroom activities.
You can publish free of charge any
editorial and advertising materials
available on this site. You may also
translate any of the material into
another language that we do not
currently offer.
A number of individuals and
organisations have made this year's
campaign possible. We would like to
express our sincere thanks to Agence
France-Presse, Russian Guild of Press
Publishers, Reporters Without Borders,
the Committee to Protect Journalists,
Michel Cambon, Sanjeev Saikia, Karim
Jouini, the World Editors Forum, Maggie
Emerson, An-Nahar and our dedicated team
of translators.
2011-03-31 |
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