लखनऊ,
10
मार्च। (यूपीएसएस)।
Lucknow,
10
March 2012, (UPSS). प्रदेश में सरकार
बदली है। नई सरकार के रूप में अभी तक
मुख्यमंत्री ने शपथ भी नहीं ली है।
लेकिन, अफसरों में भगदड़ की स्थिति
है। किसी को हटाने का आदेश अभी तक जारी
नहीं हुआ है। मायावती सरकार जिन अफसरों
के बल पर चल रही थी। वे भी सरकार के
साथ ही खुद को पराजित महसूस करने लगे
हैं। यही वजह है कि उनको लगता है कि
जीत हासिल कर आने वाली सरकार उनकी नहीं
होगी। इस आशंका में अफसरों ने पंचम तल
छोडऩा शुरु कर दिया है। इनमें सबसे
ताकतवर गैर आईएएस अफसर शशांक शेखर
सिंह भी हैं जो नई सरकार के गठन के
तीन दिन पहले ही अपना सेवा विस्तार
रद्द कराकर पंचम तल से रुखसत हो गए।
मायवती के चहेते कुंवर फतेहबहादुर
सिंह तो मतगणना वाले दिन ही पंचम तल
छोड़ कर चले गए।
ऐसा पहली बार हो रहा है कि अफसर पंचम
तल छोड़-छोड़ कर भाग रहे हैं। क्योंकि
उन्हें मालूम है कि उनके कामों से
प्रदेश की जनता और विरोधी दल नाखुश
हैं। उन्होंने अधिकारी के रूप में
पार्टी कार्यकर्ताओं के रूप में काम
किया। बसपा सरकार में इन अफसरों ने
पूरी तरह मुख्यमंत्री और उनके दल के
प्रति निष्ठा निभाई थी। वे हर वो काम
करने को तैयार थे जो मायावती की इच्छा
होती थी। शासन ने मनादण्डों को
दरकिनार करके वे बसपाई नजर आने लगे
थे। यहां तक कि विरोधी दलों के
कार्यकर्ताओं और नेताओं पर लाठियां
बरसाने से लेकर आन्दलनों को कुचलने के
लिए उन्होंने पुलिस का भरपूर दुरुपयोग
किया। अगर ये अफसर कानून के अनुसार
काम करते तो आज नई सरकार बनने की
स्थिति में मुख्यमंत्री सचिवालय छोड़
कर भागने की नौबत न आती।
इसके पहले भी राज्य में सत्ता
परिवर्तन हुए हैं। लेकिन अधिकारियों
मे ऐसी भगदड़ कभी नहीं देखी गई। सत्ता
बदलने पर पुराने अफसर ही नई सरकार को
शपत ग्रहण कराने की औरपारिकाताएं पूरी
कराते थे। कुछ समय तक परुराने अफसर ही
कायम भी रहते थे। इसके बाद मुख्यमंत्री
अपनी मर्जी के अफसरों की तैनाती करते
थे। लेकिन यहां तो नजारा कुछ और ही
है। अफसरों को शपथ ग्रहण का इंतजार ही
नहीं है। वे लगे हैं अपने लिए नई जगह
तलाशने में।
यही बजह है कि मायावती सरकार में सबसे
हनक वाले अधिकारी कुंवर फतेहबहादुर
लाल बहादुर शास्त्री भवन छोड़ बाहर का
रास्ता पकड़ चुके है। वे चुनाव परिणाम
वाले दिन 12 बजे के करीब ही दफ्तर छोड़
निकल गए। मायावती के दूसरे
आंख,कान,नाक शशांक शेखर ने इस्तीफा दे
दिया है। जबकि मुख्य सचिव अनूप मिश्र
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को
तैयार हो रहे है। नवनीत सहगल को नई
सरकार में कार्रवाई का भय सता रहा है।
एनएचआरएम घोटाले में सीबीआई कभी भी
जांच की दिशा उनकी और मोड सकती है।
वैसे नवनीत सहगल पर मुलायम सिंह यादव
के दरबार में घुसपैठ करने की कोशिश
में है। हालांकि मुलायम सिंह यादव
जानते हैं कि बसपा सरकार बनने पर
नवनीत सहगल उनका साथ छोड़ कर सबसे पहले
रुखसत हो गए थे। कुंवर फतेहबहादुर इस
समय सबसे ज्यादा डरे हुए है। क्योंकि
उन्हें लग रहा है कि मुलायम सिंह के
समर्थकों को पुलिस से पिटवाना उन्हें
अब महंगा पडऩे वाला है।
यूपी में बसपा का जाना तय था और सपा
का आना तय था। इसलिए मायावती के करीबी
अधिकारियों ने पहले ही इंतजाम शुरू कर
लिया था। वैसे जिन अधिकारियों को
मुलायम के समय में तव्वजों मिलेगा उनमें
प्रमुख नामों में जावेद उस्मानी, नीता
चौधरी और आलोक रंजन शामिल है। ये सारे
मुख्य सचिव के दावेदार है। जबकि
मुख्यमंत्री प्रधान सचिव के तौर पर
दिप्ति विलास, माजिद अली और अनिल
गुप्ता के नामों की चर्चा है। मायावती
के कार्यकाल में हाशिए पर रही अनिता
सिंह और आमोद कुमार जैसे अधिकारियों
को भी मुख्यमंत्री कार्यालय में अहम
पद मिलने की संभावना है। बताया जा रहा
है कि मायावती के कार्यकाल के
अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों का
पुलिंदा पहले से ही सचिवालय में पड़ा
है। इन पुलिंदा को खोलने की तैयारी
मुलायम सिंह के नजदीकी अधिकारी करने
लगे है। क्योंकि इन अधिकारियों को
प्रताडित करने में कहीं भी कोई कमी नहीं
छोड़ी गई।